पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने बीसीसीआई पर लगाया ये बड़ा आरोप, भज्जी ने कुछ ही दिन पहले लिया था सन्यास
भारतीय टीम के स्पिन गेंदबाज हरभजन सिंह ने कुछ दिन पहले क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास लेने की घोषणा की थी। अब हरभजन सिंह ने संन्यास लेने के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड पर बड़ा आरोप लगाया है ।
सौरव गांगुली और विराट कोहली विवाद पर पूरी तरह से पर्दा गिरा नहीं अब हरभजन सिंह ने संयास लेने के कुछ ही दिनों बाद ही परतें खोलना शुरू कर दिया है। भज्जी ने हाल ही में धोनी से उनकी कप्तानी में पर्याप्त समर्थन ना मिलने की बात कही थी।
BCCI से नहीं मिला समर्थन
हरभजन सिंह ने बीसीसीआई पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर बाकी कुछ खिलाड़ियों को भी बीसीसीआई की तरफ से धोनी जैसा ही समर्थन मिलता है तो वे महान क्रिकेटरों में तब्दील हो जाते। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई की तरफ से एमएस धोनी को बाकी खिलाड़ियों के मुकाबले ज्यादा समर्थन मिला। वह बोले कि अगर उन्हें और खेलने का मौका दिया जाता तो वह अपने करियर में 100-150 विकेट और ले सकते थे। भज्जी ने अपने करियर में कुल 107 टेस्ट मैचों में 32.46 के औसत से 417 विकेट लिए हैं। इसमें एक पारी में 5 विकेट लेने का कारनामा 10 बार शामिल है। जबकि एकदिवसीय मैचों में 269 विकेट झटके हैं।
Team India के पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने एक निजी चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि धोनी को अन्य खिलाड़ियों के मुकाबले ज्यादा समर्थन मिला। अगर इन खिलाड़ियों को भी उतना ही समर्थन मिलता तो वह भी महान क्रिकेटर बन जाते। ये खिलाडी भी देश के लिए लंबे समय तक खेलते। उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि बाकी खिलाड़ी अपना बैट चलाना भूल गए थे और वे अचानक ही गेंदबाजी करना भूल गए थे।
आपको बता दें कि वर्ष 2011 में वर्ल्ड कप के बाद हरभजन सिंह एकदम से ही टेस्ट समीकरण से बाहर हो गए थे। फिर वह 2012 से लेकर 15 के बीच केवल पांच टेस्ट मैच देश के लिए खेल पाए। साल 2012 से 2014 तक वह कोई वनडे मैच नहीं खेल पाए बाद में उनकी वापसी 2015 में हुई।
हरभजन सिंह का आरोप
भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर ने दावा करते हुए कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों के कारण उनकी भारतीय टीम के सेटअप से आसानी से विदाई हुई है। उन्होंने यह भी बोला कि टीम के चयनकर्ता हमेशा ही कप्तान और कोच की पहुंच से परे रहे हैं। उन्होंने कहा कि उस समय धोनी कप्तान थे लेकिन मुझे लगता है चयनकर्ता धोनी से ऊपर उठकर होते थे। कुछ हद तक इसमें बीसीसीआई के कुछ अधिकारी भी शामिल होते थे। यह अधिकारी मुझे नहीं चाहते थे। ऐसे में कप्तान खिलाड़ी का समर्थन कर सकता है लेकिन कप्तान कभी भी बोर्ड से ऊपर नहीं हो सकता। बोर्ड के अधिकारी हमेशा ही टीम के कप्तान कोच या टीम से बड़े रहे हैं।