Gen Z ने नेपाल में किया तख्तापलट

Gen Z in Nepal: नेपाल सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर बैन लगाना एक बहुत बड़ी चूक थी, जो तख्तापलट का कारण बनीं। Gen Z आंदोलन के आगे केपी शर्मा ओली सरकार ने घुटने टेक दिए।

Gen Z की मांगें

Nepal में Gen Z के विरोध प्रदर्शन मूल रूप से सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ थे लेकिन जल्द ही यह बड़ा आंदोलन बन गया। युवाओं का गुस्सा, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, आर्थिक असमानता, बेरोजगारी और राजनीतिक विलासिता पर केंद्रित है। 13 से 28 आयु वर्ग के युवाओं की मांगे निम्नलिखत प्रकार हैं।

  • सोशल मीडिया पर बैन हटाना: 4 सितंबर को नेपाली सरकार ने फेसबुक, यूट्यूब, एक्स, इंटाग्राम और व्हाट्सएप समेत कुल 26 सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बैन लगाने की घोषणा की थी। जिसे युवाओं ने अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया। सरकार ने 9 सितंबर को सोशल मीडिया पर से बैन हटा लिया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
  • भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद पर कार्रवाई की मांग: नेपाली युवा राजनेताओं के बच्चों के विलासितापूर्ण जजीवनशैली पर गुस्से में हैं। वे मांग कर रहे हैं कि राजनीतिकी परिवारों की संपत्ति की जांच हो।

नेपाल में तख्तापलट और नई व्यवस्था

Nepal संसद भंग करना , सभी सांसदों और मंत्रियों का सामूहिक इस्तीफा, नए चुनाव और अंतरिम सरकार। Gen Z पुरानी व्यवस्था को भ्रष्टाचार का गढ़ मानते हैं। इसलिए इस समूह ने नेपाल में तख्तापलट किया।

नेपाल के युवा बेरोजगारी और विदेशों में पलायन से नाराज हैं। वे मांग कर रहे हैं कि राजनीतिक परिवारों को सत्ता से बाहर किया जाए और मेरिट बेस्ड अवसर दिए जाएं। ये सभी मांगे हामी नेपाल जैसे संगठनों द्वारा उठाई गई हैं। यह आंदोलन बिना औपचारिक नेतृत्व के फैला। युवा इसे जनरेशनल रिवोल्ट कह रहे हैं। जैसे श्रीलंका और बांग्लादेश में हुआ था।

Nepal हिंसा में मारे जाने वाले लोगों का आंकड़ा

8 सितंबर 2025 से शुरू हुए प्रदर्शनों में सुरक्षा बलों ने लाइव गोलियां, रबर बुलेट्स, आंसू गैस और वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया। आधिकारिक आंकड़े नीचे दिए गए हैं।

  1. मृतकों की संख्या: कम से कम 22 लोग (काठमांडू में 17, इटाहारी में 2, अन्य शहरों में 3)। अधिकांश युवा थे, जिनमें स्कूली बच्चे भी शामिल। मंगलवार को 3 और मौतें हुईं।
  2. घायल: 300 से अधिक (कुछ अनुमानों में 400), जिनमें गोलीबारी से घायल युवा और पुलिसकर्मी शामिल। अस्पतालों में गंभीर चोटें (गोली के घाव, रबर बुलेट्स) रिपोर्ट की गईं।
पीएम केपी शर्मा ओली समेत इन मंत्रियों ने दिया इस्तीफा

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 9 सितंबर को इस्तीफा दिया, लेकिन इससे पहले कई मंत्री और सांसदों ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया। कुल 4-5 कैबिनेट मंत्री और कई सांसद शामिल हैं।

नेपाल के गृहमंत्री रमेश लेखक का इस्तीफा: 8 सितंबर को इस्तीफा, प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी के लिए नैतिक जिम्मेदारी ली।

कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी का त्यागपत्र: 9 सितंबर को इस्तीफा, हिंसा पर दुख व्यक्त किया।

हेल्थ मिनिस्टर प्रदीप पौडेल का इस्तीफा: 9 सितंबर को इस्तीफा, युवाओं की मौत पर गुस्सा। इनके अलावा, राष्ट्रिय स्वतंत्र पार्टी के 21 सांसद और राष्ट्रिय प्रजातंत्र पार्टी के सभी सांसदों ने इस्तीफा दिया। यूएमएल पार्टी से कई सदस्यों ने भी त्यागपत्र दिया।

ओली ने इस्तीफे से पहले सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल से सुरक्षित निकासी की मांग की। राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने ओली का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और नए नेता के लिए चर्चा शुरू की।

संपत्ति का नुकसान

संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, सिंगा दुरबार (सरकारी मुख्यालय), राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास, नेपाली कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्यालय जलाए गए। कई मंत्रियों और पूर्व पीएम (शेर बहादुर देउबा, पुष्प कमल दाहाल) के घरों पर हमला। जेल ब्रेक 3, तुलसीपुर में 127 कैदी भागे)। होटल (हिल्टन, वरनबास), कार शोरूम, मीडिया हाउस (कांतिपुर) और वाहनों को नुकसान। पर्व पीएम झाला नाथ खनाल की पत्नी जलकर मरी।

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Gen Z आंदोलन नेपाल की राजनीती में बड़ा बदलाव ला सकता है लेकिन हिंसा जारी रहने से देश में अस्थिरता बढ़ सकती है। नेपाली सेना और राष्ट्रपति युवाओं से संवाद की अपील कर रहे हैं।

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