कठोरता एवं आजाद सोच, ये क्रांतिकारी होने के दो गुण हैं-जानिए शहीद भगत सिंह से जुडी कुछ खास बातें

शहीद भगत सिंह का आज 112 जन्म दिवस है। उनका जन्म 28 सितंबर 1907 बंगा में हुआ था जो अब पाकिस्तान में। उनकी माता का नाम विद्यावती और और पिता का नाम सरदार किशन सिंह संधू था।

सरदार भगत सिंह ने नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी। भगत सिंह ने अपने दो साथियों सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर ‘काकोरी कांड’ को अंजाम दिया था। नौजवानों के दिलों में आजादी का जुनून भरने वाले शहीदे-आजम-भगत सिंह का नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। 12 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी आंखों के सामने ‘जलियांवाला बाग़’ हत्याकांड देखा, जिसके बाद वे भारत कई आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। ब्रिटिश हुकूमत को खुले-आम चुनौती देने वाले भगत सिंह ने हर भाषण में इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए।

ब्रिटिश हुकूमत को नाकों चने चबवाने वाले आजाद भगत सिंह को उनके दो साथियों राजगुरु और सुखदेव के साथ लाहौर कांड में 24 मार्च 1931 को फांसी देने की तारीख तय की गई। लेकिन तारीख से 11 घंटे पहले ही उनको 23 मार्च 1931 को शाम के साढ़े सात बजे लाहौर की सेंट्रल जेल में फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। इसलिए हर साल 23 मार्च को शहीदी दिवस मनाया जाता है।

आइए जानते हैं उनके विचार

  • लोगों को कुचलकर ,वो मेरे विचारों का दम नहीं घोंट सकते।
  • प्रेमी, पागल और कवि एक ही मिट्टी के बने होते हैं।
  • मैं एक इंसान हूं और जो कुछ भी इंसानियत को प्रभावित करता है उससे मेरा वास्ता है।
  • कठोरता एवं आजाद सोच, ये दो क्रांतिकारी होने के गुण हैं।
  • वो मुझे कत्ल कर सकते हैं ,मेरे विचारों को नहीं। वो मेरे शरीर को कुचल सकते हैं मेरे जज्बे को नहीं।

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