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Bhagat Singh के जन्मदिन पर जानिए कुछ रोचक तथ्य

दिसम्बर 9, 2024 | by pillar

Know some interesting facts on Bhagat Singh birthday

Bhagat Singh भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक थे। उनका जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले (वर्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा) के बंगा गांव में हुआ था। भगत सिंह का परिवार एक क्रांतिकारी पृष्ठभूमि का था और उनके परिवार के कई सदस्य अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में सक्रिय थे।

Bhagat Singh का प्रारंभिक जीवन

भगत सिंह का बचपन से ही अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ विद्रोही दृष्टिकोण रहा। जब जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ (1919), तब भगत सिंह सिर्फ 12 वर्ष के थे।  इस घटना ने उनके मन पर गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने कम उम्र से ही ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष करने का निश्चय कर लिया।

भगत सिंह की शिक्षा और क्रांतिकारी विचारधारा

Bhagat Singh ने लाहौर के नेशनल कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। वहीं पर उन्होंने देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया। वे महान क्रांतिकारी विचारक करतार सिंह सराभा से प्रेरित थे और उनका मानना था कि केवल अहिंसा के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्त नहीं की जा सकती।

भगत सिंह की क्रांतिकारी गतिविधियाँ

भगत सिंह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) से जुड़े, जो बाद में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के नाम से जाना गया। इस संगठन का उद्देश्य ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंकना और भारत में समाजवादी शासन की स्थापना करना था।

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Bhagat Singh ने की थी सांडर्स की हत्या (1928)

लाला लाजपत राय पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज में उनकी मृत्यु हो गई थी। इसका बदला लेने के लिए भगत सिंह, राजगुरु, और सुखदेव ने 1928 में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सांडर्स की हत्या की। हालांकि उनका असली उद्देश्य पुलिस अधीक्षक जेम्स ए. स्कॉट को मारना था लेकिन गलती से सांडर्स मारे गए।

असेंबली बम कांड (1929)

8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम फेंका। इस बम कांड का उद्देश्य किसी को नुकसान पहुँचाना नहीं था बल्कि ब्रिटिश शासन को यह संदेश देना था कि भारतीय अब शांत नहीं बैठेंगे,वे अब आजादी लेकर रहेंगे। बम फेंकने के बाद उन्होंने गिरफ्तार होने का निश्चय किया और मौके पर ही आत्मसमर्पण कर दिया।

भगत सिंह को जेल और शहादत

भगत सिंह को सांडर्स की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई। जेल में रहते हुए उन्होंने भूख हड़ताल भी की थी.  जिसका उद्देश्य भारतीय कैदियों के साथ हो रहे भेदभावपूर्ण व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाना था।

फांसी से पहले भगत सिंह ने कहा था,” वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, लेकिन वे मेरी आत्मा को नहीं कुचल पाएंगे। ”

23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु, और सुखदेव को लाहौर जेल में फांसी दी गई। उनकी शहादत ने पूरे भारत में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ गुस्से की लहर दौड़ा दी और वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर प्रतीक बन गए।

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भगत सिंह की विचारधारा

भगत सिंह न केवल एक क्रांतिकारी थे बल्कि एक विचारक भी थे। उन्होंने “नौजवान भारत सभा” की स्थापना की और अपने लेखों में समाजवाद, साम्राज्यवाद विरोध और धार्मिक भेदभाव के खिलाफ जोर दिया। उनका मानना था कि सशस्त्र संघर्ष स्वतंत्रता के लिए आवश्यक है लेकिन उनका अंतिम लक्ष्य समाज में समानता और न्याय की स्थापना करना था।

भगत सिंह के प्रमुख योगदान:

  1. सशस्त्र क्रांति: भगत सिंह का मानना था कि भारत को स्वतंत्रता केवल अहिंसा से नहीं मिल सकती बल्कि सशस्त्र संघर्ष आवश्यक है।
  2. समाजवादी दृष्टिकोण: भगत सिंह समाजवाद के समर्थक थे और उनका मानना था कि भारत की स्वतंत्रता के बाद देश में समानता और न्याय का समाज स्थापित होना चाहिए।
  3. धर्मनिरपेक्षता: भगत सिंह धार्मिक भेदभाव के सख्त विरोधी थे और उन्होंने एक धर्मनिरपेक्ष भारत की परिकल्पना की थी।

भगत सिंह की विरासत

 

भगत सिंह आज भी भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्हें एक ऐसे क्रांतिकारी के रूप में याद किया जाता है, जिसने अपने जीवन को देश की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया। उनका बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।

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