हिंदू धर्म में करवा चौथ के व्रत का खास महत्व है। शुरू में इस दिन को एक व्रत के रूप में मनाया जाता था लेकिन अब इसे त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं।
व्रत और करवा चौथ
करवा चौथ के पर्व पर महिलाएं पूरा दिन बिना अन्न और जल ग्रहण किए अपने पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।
चंद्रमा को अर्ध्य
सुबह सूर्योदय होने से पहले शादी-शुदा महिलाएं सरगी ग्रहण करती हैं और उसके बाद सारा दिन भूखा-प्यासा रह कर शाम को चांद के उदय होने पर चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद अपने पति के हाथों जल ग्रहण कर व्रत खोलती हैं। ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से पति की आयु लंबी होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। करवा चौथ के व्रत रखने के लिए नियम इस प्रकार हैं।
व्रत के नियम और विधि
- व्रत की शुरुआत सरगी खाकर करें। सरगी सुबह सूर्योदय से पहले ग्रहण करें। सरगी खाते समय दक्षिण पूर्व की तरफ मुंह रखें।
- ध्यान रहे , करवा चौथ के दिन क्रोध न करें। किसी को अपशब्द न निकालें। अपनी इंद्रियों पर काबू रखें।
- इस त्योहार के दिन सोलह सिंगार करें। जिसमें सुहाग के रंग के वस्त्र धारण करें जैसे लाल ,पीले और रंगीन कपड़े पहने। करवा चौथ के दिन काले और सफेद रंग के कपड़े न पहने।
- पर्व करवा चौथ के दिन चांद को अर्ध्य देना बहुत जरूरी और शुभ माना जाता है। इस दिन महिलाएं पहले आटा छानने वाली छलनी पर दीपक रखती हैं और उसके बाद छलनी से पहले चांद को देखती उसके बाद अपने पति को। उसके बाद चांद को अर्ध्य देने के बाद पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं।
- इसके बाद भगवान को भोग लगाने के बाद पति-पत्नी बैठकर भोजन करें और प्रेमपूर्वक बातें करें।
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