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जानिए कब और कैसे शुरू हुई थी रविवार की छुट्टी

सप्ताह में संडे की छुट्टी पाने के लिए भारत में एक लंबा आंदोलन चला। मजदूर नेता नारायण मेघाजी लोखंडे इस आंदोलन की अंग्रेजों के खिलाफ शुरुआत की थी।

सप्ताह में संडे की छुट्टी पाने के लिए भारत में एक लंबा आंदोलन चला। मजदूर नेता नारायण मेघाजी लोखंडे इस आंदोलन की अंग्रेजों के खिलाफ शुरुआत की थी।

‘नारायण मेघाजी लोखंडे; ने सप्ताह में एक छुट्टी पाने के लिए काफी लंबी लड़ाई लड़ी। मेघाजी आंदोलन के कारण अंग्रेजी हुकूमत ने 10 जून को आम भारतीयों के लिए संडे (Sunday )यानी रविवार को साप्ताहिक छुट्टी के लिए चुना।

शनिवार को ही लोगों को छुट्टी का एहसास होने लगता है क्योंकि इसके अगले दिन रविवार (Sunday ) को छुट्टी का दिन होता है। अंग्रेजों के शासन काल (British Rule ) में सभी भारतीयों को सप्ताह के सातों दिन काम करना पड़ता था। आज से 129 साल पहले भारतीयों को आज ही के दिन रविवार को छुट्टी मनाने का अधिकार मिला था।

‘नारायण मेघाजी लोखंडे’ के लंबे संघर्ष के बाद 10 जून 1890 को रविवार को अवकाश का दिन चुना गया।

ब्रिटिश हुकूमत (British Rule ) के शासन काल में कपड़ा और अन्य कारखानों में भारतीय लोग अपनी आजीविका चलाने के लिए काम करते थे। भारतीय मजदूरों (Indian Labour )को सप्ताह में सातों दिन काम करना पड़ता था और छुट्टी की कोई व्यवस्था नहीं थी। कारखाना मजदूरों की छुट्टी के लिए ‘मजदूर नेता नारायण मेघाजी लोखंडे’ ने अभियान शुरू किया।

साप्ताहिक अवकाश पाने के लिए ‘मेघाजी लोखंडे’ ने अंग्रेजों के सामने प्रस्ताव रखा ,जिसको ठुकरा दिया गया था। उन्होंने इस अवकाश के लिए लगभग सात साल तक लंबा संघर्ष किया। जिसके बाद अंग्रेजों ने अपना फैसला बदलते हुए रविवार के दिन को छुट्टी वाला दिन घोषित करते हुए मान्यता दी। काम के दौरान दोपहर में आधे घंटे का ब्रेक भी नारायण मेघाजी लोखंडे ने दिलवाया।

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