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जानिए कौन हैं किसान नेता राकेश टिकैत जिनके पिता जी के हुक्के से कभी पूरी दिल्ली हिल जाती थी

किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद भी केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन पर हैं।

किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद भी केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन पर हैं।

किसान आंदोलन

केंद्र सरकार द्वारा पिछले दिनों पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 2 महीनों से भी ज्यादा समय से किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि 26 जनवरी के मौके पर लाल किला में कुछ शरारती तत्वों द्वारा धार्मिक झंडा फहराए जाने के बाद आंदोलन थोड़ा कमजोर पड़ गया था। जिसके बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि किसानों का आंदोलन किसी भी समय खत्म हो सकता है। लेकिन इसी बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि वह किसानों को उनका हक दिलाकर ही आंदोलन खत्म करेंगे। इस मौके पर वह फूट-फूट कर रोने भी लगे थे।

टिकैत के आंसुओं ने पूरे देश का माहौल एकदम बदल दिया और हरियाणा पंजाब राजस्थान उत्तर प्रदेश सहित देश भर के किसान फिर से दिल्ली की तरफ निकल पड़े हैं। किसान नेता राकेश टिकैत को किसानो की हक की लड़ाई लड़ने का जिम्मा अपने पिता महेंद्र सिंह टिकैत से विरासत में मिला है।

किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं राकेश टिकैत

बता दे महेंद्र सिंह टिकैत एक ऐसे किसान नेता थे जो अपनी गाड़ी पर हुक्का लेकर चलते थे और उनके हुक्के की गुड़ गुड़ से पूरी दिल्ली हिल जाया करती थी। महेंद्र सिंह टिकैत अक्सर कहा करते थे कि पुलिस का बैरिकेड ट्रैक्टर और जाट ही तोड़ सकता है। महेंद्र सिंह टिकैत की एक हुंकार दिल्ली से लेकर लखनऊ तक की सत्ता को हिला देती थी। उनके एक आह्वान पर देशभर के किसान इकट्ठा हो जाया करते थे।

बीकेयू का गठन ऐसे हुआ

भारतीय किसान यूनियन की स्थापना 1987 में उस समय की गई थी जब बिजली के रेट को लेकर किसानों ने यूपी के शामली जिला के कर्मखेड़ी में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन किया था। जिसमें 2 किसान अकबर और जयपाल पुलिस की गोली लगने से मारे गए थे। जिसके बाद भारतीय किसान यूनियन का गठन किया गया और उसका मुखिया चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को बनाया गया। इसके बाद महेंद्र सिंह टिकैत अपनी आखरी सांस तक किसानो की हक की लड़ाई लड़ते रहे और उनकी छवि एक मसीहा के तौर पर बन गई।

राकेश टिकैत का जन्म और शिक्षा

किसान पुत्र राकेश सिंह टिकैत का जन्म मुजफ्फरनगर जिला के सिसौली गांव में 4 जून 1969 को हुआ था। उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई की है। उसके बाद उन्होंने एलएलबी किया। राकेश टिकैत की शादी साल 1985 में बागपत जिला के दादरी गांव की सुनीता देवी से हुई थी। इसी वर्ष उनकी नौकरी दिल्ली पुलिस में भी लगी थी। उनके एक पुत्र चरण सिंह और दो बेटियां सीमा और ज्योति हैं। इनके सभी बच्चों की शादी हो चुकी है।

किसानों के हक के लिए 45 बार जा चुके जेल

एमपी में एक किसान आंदोलन के दौरान उनको 39 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था। उन्होंने गन्ना मूल्य बढ़ाने को लेकर दिल्ली में संसद भवन के बाहर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और गन्ना खेत में खड़ा हुआ ही जला दिया था। जिसकी वजह से उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। उन्होंने राजस्थान में किसानों के हित में बाजरे के मूल्य को बढ़ाने के लिए भी सरकार से मांग की थी। सरकार द्वारा मांगना मांगने पर टिकैत ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था और उन्हें जयपुर जेल में जाना पड़ा था। अब एक बार फिर उन्हें दिल्ली में 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा में के कारण नोटिस दिया गया है और उनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई है।

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