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आज से पितृ पक्ष शुरू हो गया है ,जानिए श्राद्ध का महत्व,नियम और विधि

सितम्बर 13, 2019 | by

Pitru Paksha has started from today, know the importance, rules and methods of Shradh

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि अगर मरने वाले वाले व्यक्ति का श्राद्ध न किया जाए तो उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती और घर में खुशहाली नहीं आती।i

क्यों किया जाता है श्राद्ध

पितृ पक्ष के दौरान दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। कहा जाता है की अगर पितृ नाराज हो जाएं तो व्यक्ति का जीवन खुशहाल नहीं रहता और उसे अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यही नहीं घर क्लेश रहता है और व्यापार में हानि भी उठानी पड़ सकती है। ऐसे में पितरों की आत्मा की शांति और उनको खुश रखने के लिए श्राद्ध करना पड़ता है। श्राद्ध में पितरों की तृप्ति के लिए उन्हें भोजन पहुंचाया जाता है। सूर्य की तरफ मुंह करके जल चढ़ाया जाता है। पिंड दान और तर्पण कर उनकी आत्मा की शांति की कामना की जाती है।

पूर्णिमा से होती है शुरुआत

हिंदू पंचांग के अनुसार , पितृ पक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में आते हैं। इसकी शुरूआत पूर्णिमा से होती है और इसकी समाप्ति अमावस्य पर होती है। अंग्रेजी महीने के अनुसार हर साल इसकी शुरूआत सितंबर महीने में होती है। आमतौर पर यह 16 दिन तक होता है। इस बार इसकी शुरूआत 13 सितंबर से हुई और 28 सितंबर को खत्म होगा।

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में मृत व्यक्ति का श्राद्ध करना बहुत जरूरी होता है। अगर श्राद्ध न किया जाए तो मरने वाले की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती। मान्यता ये भी है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों को श्राद्ध करने से वे प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को मुक्ति मिलती है। मान्यता ये भी है कि पितृ पक्ष में यमराज पितरों को उनके परिजनों से मिलने के लिए मुक्त कर देते हैं। अगर ऐसे में अगर उनका श्राद्ध न किया जाए तो उनकी आत्मा दुखी हो जाती है।

तर्पण

श्राद्ध के दिनों में हर रोज तर्पण करना चाहिए। पानी में दूध जौ और गंगाजल डालकर तर्पण किया जाता है। इस दौरान, पिंड दान करना चाहिए। पके हुए चावल, तिल और दूध मिलाकर पिंड बनाए जाते हैं। पिंड शरीर का प्रतीक माने जाते हैं। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य ,शादी-ब्याह ,विशेष अनुष्ठान और मुहूर्त नहीं करना चाहिए। इस दौरान नए वस्त्र,नया भवन , नए गहने या नया वाहन नहीं ख़रीदना चाहिए। इस दौरान फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान मास ,लहसुन ,प्याज और चना का सेवन नहीं करना चाहिए।

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