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क्यों की गई थी नोटबंदी ? मोदी सरकार ने 6 साल बाद सुप्रीम कोर्ट में बताई सच्चाई

पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2016 में 8 नवंबर को शाम आठ बजे नोटबंदी का ऐलान किया था। जिसकी सच्चाई अब 6 साल बाद सामने आई है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2016 में 8 नवंबर को शाम आठ बजे नोटबंदी का ऐलान किया था। जिसकी सच्चाई अब 6 साल बाद सामने आई है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी। उसी शाम आठ बजे पीएम मोदी ने सभी टीवी चैनलों पर लाइव आकर नोटबंदी का ऐलान करते हुए कहा था कि आज रात 12 बजे से हजार और 500 रुपए के नोट चलन से बाहर हो जाएंगे। पीएम मोदी के इस फैसले से पूरा देश हैरान रह गया था। नोटबंदी के बाद पूरा देश बैंकों का सामने कतारों में नजर आया था। लेकिन यह फैसला अचानक नहीं लिया गया था। पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने नोटबंदी के 6 साल बाद कोर्ट में सच्चाई बताई है।

केंद्र सरकार ने बुधवार के दिन सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी ( Demonetisation ) के बारे में विस्तार से बताया है। सरकार ने सर्वोच्च अदालत में बताया कि नोटबंदी करने से पहले केंद्र ने आठ महीने पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक के साथ चर्चा करना शुरू कर दी थी। लेकिन इस मामले को गोपनीय रखा गया था।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया ,” तत्कालीन वित् मंत्री अरुण जेटली ने संसद में कहा था कि नोटबंदी का फैसला RBI के साथ व्यापक विचार विमर्श और अग्रिम तैयारी के साथ लिया गया था। रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के साथ सरकार ने फरवरी 2016 में परामर्श शुरू किया था। इस मामले को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था। ”

क्यों लिया गया नोटबंदी का फैसला ?

पीएम मोदी सरकार ने अपने हलफनामें में कहा ,” कुल मुद्रा मूल्य के एक महत्वपूर्ण हिस्से की निकासी सोच-समझकर लिया गया निर्णय है। ” सरकार ने कहा कि एक नवंबर 2016 को दिए गए दो हलफनामों को पढ़ा जाना चाहिए।

बचाव में क्या कहा ?

केंद्र सरकार ने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि नोटबंदी का निर्णय आरबीआई की 1000 और 500 रुपए के नोटों को वापस लेने और कार्यन्वयन के लिए प्रस्तावित मसौदा योजना पर आधारित था। रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के केंद्रीय बोर्ड ने हजार और पांच सौ रुपए के नोटों को वापस लेने के लिए एक एक विशिष्ट सिफारिश की थी। आरबीआई ने सिफारिश को लागू करने के लिए एक मसौदा भी पारित किया था। जिसपर केंद्र सरकार ने विधिवत तरीके से विचार किया था।

लीगल टेंडर

आंकड़ों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा ,” पिछले पांच वर्षों में एक हजार और पांच सौ रुपए के नोटों की जगह 100 और 50 रुपए के नोटों के चलन में भारी वृद्धि हुई है। 500 और 1000 रुपए के नोटों के लीगल टेंडर को वपस लेने से , काला धन , आतंकवाद , अवैध जालसाजी और नकली करेंसी से निपटा जा सकता था। “

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