सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसए नजीर की पांच जजों वाली बेंच ने संकेत दिया है कि पुराने नोटों को बदलने की व्यवस्था पर विचार किया जा सकता है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को शाम 8 बजे नोटबंदी की घोषणा की थी। उस समय सभी टीवी चैनलों पर प्रधानमंत्री ने 1000 और 500 रुपए के नोटों को चलन से बाहर करने की बात कही थी। पीएम मोदी की इस घोषणा के बाद पुरे देश में हड़कंप मच गया था। केंद्र सरकार द्वारा अचानक लिए गए इस फैसले से देश का हर नागरिक हैरान था।
नोटबंदी पर SC में सुनवाई
अब नोटबंदी की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आठ साल बाद शुक्रवार के दिन संविधान पीठ के सामने सुनवाई हुई। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एसए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने इशारा किया है कि पुराने नोटों को बदलने की व्यवस्था पर फिर से विचार किया जा सकता है। हालांकि , कुछ खास मामलों में ही अनुमति दी जा सकती है। इस मामले पर अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।
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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने अधिसूचना का बचाव करते हुए कहा ,” यह आतंकवाद और नकली नोटों को रोकने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से उठाया गया कदम था। ”
तर्क
नोटबंदी आरबीआई के कानून 1934 के प्रावधानों के तहत की गई थी। इसमें क़ानूनी दिक्क्त नहीं है। इस याचिकाओं पर विचार करना शैक्षिणक कवायद है ,जिसका कोई मतलब नहीं है।
याचिकाकर्ता की कोर्ट से गुहार
- याचिकाकर्ता : मेरे पास एक करोड़ रुपए से भी अधिक के पुराने नोट पड़ें हैं ,हम उनका क्या करें ?
- SC : आप इन्हे संभाल कर रखिए।
- याचिकाकर्ता : मेरी जब्त की गई लाखों की रकम अदालत में जमा है, नोटबंदी के बाद वह बेकार हो गई है।
- याचिकाकर्ता : हम विदेश में थे और बताया गया था कि नोट बदलने के लिए विंडो मार्च के अंत तक खुली रहेगी लेकिन वह पहले ही बंद हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार की नोटबंदी पर दलीलें सुनी हैं। इस केस की अगली सुनवाई पांच दिसंबर 2022 को होगी। अगर सर्वोच्च अदालत आदेश देती है तो पुराने 1000 और 500 रुपए के नोट फिर से बदले जा सकेंगे।