Prasanta Chandra Mahalanobis एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक, सांख्यिकीविद् और अर्थशास्त्री थे। जिन्होंने सांख्यिकी की खोज की थी। उन्हें ISI का जनक भी कहा जाता है।
प्रोफेसर महालनोबिस ने “महालनोबिस दुरी” और सैंपल सर्वे जैसी तकनीकों को विकसित किया था। उनका भारत की आर्थिक नियोजन प्रणाली में अहम योगदान रहा। उन्होंने दूसरी पंचवर्षीय योजना में अहम भूमिका निभाई। उनकी जयंती पर, 29 जून को भारतीय “सांख्यिकी दिवस” के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते हैं पीसी महालनोबिस के बारे में अहंम बातें।
Prasanta Chandra Mahalanobis का जन्म और शुरूआती जीवन
प्रशांत चंद्रा महालनोबिस (Prasanta Chandra Mahalanobis) का जन्म 29 जून 1993 को कोलकाता ( तत्कालीन कलकत्ता ) में हुआ था। उनके पिता प्रबोध चंद्र महालनोबिस एक साधारण इंसान थे। जो ब्रह्मो समाज के सक्रिय सदस्य थे और राजा राम मोहन राय से बहुत प्रभावित थे। उनकी माता का नाम निरोदबसिनी था। उनके दादा गुरु चरण महालनोबिस 1854 में बांदलादेश ( तत्कालीन बिक्रमपुर ) से कोलकाता आए थे।
पीसी महालनोबिस की शिक्षा
Prasanta Chandra Mahalanobis की प्रारंभिक शिक्षा ब्रह्मो बॉयज स्कुल में हुई थी। उन्होंने 1908 में दसवीं की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज कोलकाता से फिजिक्स में ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की। उनके शिक्षकों में प्रोफेसर प्रफुल्ल चंद्र रे और जगदीश चंद्र बासु जैसे महान वैज्ञानिक शामिल थे। 27 फरवरी 1923 को उनका निर्मल कुमरी से विवाह हुआ था।
महालनोबिस (Prasanta Chandra Mahalanobis) बहुआयामी प्रतिभा के स्वामी थे। निरोदबसिनी सांख्यिकी और विज्ञान के अलावा उनकी वास्तुकला और साहित्य में रूचि थी। उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर की कई कृतियों पर आर्टिकल लिखे। उस समय टैगोर ने उन्हें विश्व भारती का सचिव भी नियुक्त किया था।
महालनोबिस का सांख्यिकी में योगदान
- सांख्यिकी माप, बहुआयामी डाटा में किसी की औसत से दुरी मापता है। इसकी खोज उन्होंने कोलकाता एंग्लो-इंडियंस के मानवशास्त्रीय डाटा के विश्लेषण के दौरान की थी। यह माप आज भी मशीन लर्निंग और डाटा विश्लेषण में उपयोग होता है।
- सैंपल सर्वे: पीसी महालनोबिस ने सैंपल सर्वे की अवधारणा को विकसित किया। जिसके आधार पर बड़े पैमाने पर नीतियां और योजनाएं बनाई जाती हैं। उन्होंने इसका पहली बार जुट की फसल के डाटा का विश्लेषण करने के लिए किया था।
भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना
17 दिसंबर 1931 को Prasanta Chandra Mahalanobis ने अपने सहयोगियों, निखिल रंजन से और प्रमथ नाथ बनर्जी के साथ मिलकर भारतीय सांख्यिकी संस्थान ( ISI) की स्थापना की। शुरुआत में यह संस्थान प्रेसिडेंसी कॉलेज के भौतिकी विभाग में था। यह 1932 में पंजीकृत हुआ और 1959 में इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान और डीम्ड विश्वविद्यालय घोषित किया गया।
दूसरी पंचवर्षीय योजना
Prasanta Chandra Mahalanobis ने दूसरी पंचवर्षीय योजना ( 1956-61 ) का मसौदा तैयार किया था। जिसे महालनोबिस मॉडल के नाम से जाना जाता है। यह मॉडल देश के विकास में बहुत कारगर साबित हुआ। जिसके बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पीसी महालनोबिस को मंत्रिमंडल का सांख्यिकी सलाहकार नियुक्त किया था।
महालनोबिस ने मानवशास्त्र और मौसम विज्ञान में भी सांख्यिकी का उपयोग किया। उन्होंने खोपड़ी मापने के लिए एक उपकरण प्रोफिलोस्कोप का आविष्कार किया। उनके प्रयासों से कोलकाता के भारतीय सांख्यिकी संस्थान में भारत का पहला कंप्यूटर, HEC 2M स्थापित किया गया।
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निधन
प्रशांत चंद्र महालनोबिस (Prasanta Chandra Mahalanobis) की मृत्यु 28 जून 1972 कोलकाता में 78 वर्ष की उम्र में हुई। सांख्यिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें 1968 में श्रीनिवास रामानुज गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें देश और विदेश में भी कई पुरस्कार मिले।

