भारतीय टीम के पूर्व आलराउंडर खिलाडी रवि शास्त्री ने महेंद्र सिंह धोनी के साल 2014 में टेस्ट मैच से संन्यास लेने के बारे में खुलासा किया है। कोच शास्त्री ने धोनी के टेस्ट मैचों से रिटायरमेंट लेने का जिक्र अपनी किताब में किया है।
कोच रवि शास्त्री ने हाल ही में प्रकाशित अपनी किताब ‘स्टैंगरिंग : द प्लेयर्स इन माय लाइफ’ में लिखा कि धोनी उस समय भारत के ही नहीं बल्कि विश्व के सबसे बड़े खिलाडी थे। धोनी के खाते में दो विश्व कप और तीन आईसीसी ख़िताब थे। उनकी कप्तानी में चेन्नई ने कई आईपीएल टूर्नामेंट भी जीते।
साल 2014 एमएस धोनी ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थे। उस समय उन्होंने टेस्ट मैचों से अचानक संन्यास लेने की घोषणा कर सबको चौंका दिया था। धोनी के चाहने वालों को विश्वास ही नहीं हुआ कि उनके अजीज खिलाडी इस तरह का फैसला कैसे ले सकते हैं। धोनी के टेस्ट मैचों से रिटायरमेंट लेने के बाद तरह-तरह की बातें हुई। लेकिन कभी वजह सामने नहीं आई। लेकिन अब लगभग सात साल बाद कोच रवि शास्त्री ने इस बारे में खुलासा किया है।
बता दें ,टेस्ट मैचों से संन्यास लेने से पहले धोनी 90 टेस्ट खेल चुके थे। अगर वह चाहते तो 100 की क्लब में भी बहुत आसानी के साथ शामिल हो सकते थे। लेकिन संन्यास लेते समय उन्होंने सो की क्लब में शामिल होने का मोह नहीं किया और अचानक संन्यास लेने की घोषणा कर दी।
रवि शास्त्री ने अपनी ख़िताब में धोनी के संन्यास लेने के बारे खुलासा किया। कोच शास्त्री ने अपनी बुक ‘स्टैंगरिंग : द प्लेयर्स इन माय लाइफ’ में धोनी के संन्यास लेने के बारे में काफी बातें लिखी।
‘स्टैंगरिंग : द प्लेयर्स इन माय लाइफ’ में शास्त्री ने लिखा ,” एमएस धोनी उस समय भारत के ही नहीं बल्कि विश्व के सर्वश्रेष्ठ खिलाडी थे। उनके खाते में दो वर्ल्ड कप और तीन आईसीसी ख़िताब थे। उन्होंने अपनी कप्तानी में चेन्नई सुपर किंग्स को कई मुकाबले भी जिताए। धोनी उस समय अच्छी फॉर्म में थे। वह टेस्ट मैचों का शतक बनाने से मात्र 10 का आंकड़ा दूर थे। ”
कोच शास्त्री ने लिखा ,” महेंद्र सिंह धोनी उस समय टीम में सबसे फिट तीन खिलाडियों में से एक थे। उनके पास अपना रिकॉर्ड सुधारने का सुनहरा मौका था। यह सही है कि उनकी उम्र बढ़ रह थी। लेकिन वह इतने ज्यादा उम्रदराज भी नहीं हुए थे। ऐसे में उनका संन्यास लेने का फैसला समझ में नहीं आया। ”
शास्त्री ने लिखा कि मैंने धोनी से अपने संन्यास के फैसले पर फिर से विचार करने को कहा था। मैंने बारे में काफी कोशिश की। हालांकि अब मैं महसूस कर रहा हूं कि धोनी ने अपने फैसले पर अडिग रहकर सही किया।
बता दें ,जिस समय धोनी ने टेस्ट मैचों से संन्यास लिया था, उस समय रवि शास्त्री भारतीय क्रिकेट टीम के निदेशक थे।रवि शास्त्री ने कहा कि सभी क्रिकेटर्स ऐसा कहते हैं कि रिकॉर्ड उनके लिए मायने नहीं रखते। लेकिन कुछ ही खिलाडी इस बात को साबित करते हैं। विश्व क्रिकेट में सबसे पावरफुल पद को छोड़ना इतना आसान नहीं होता है। मैंने धोनी को काफी जोर दिया की वह संन्यास न लें। लेकिन उनके मजबूत लहजे ने मुझे आगे बात करने से रोक दिया।
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