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खुलासा आपके हार्ट में पहुंचकर 230 दिनों तक बना रह सकता है कोरोनावायरस, अमेरिकी वैज्ञानिकों ने किया अध्ययन

शोध के अनुसार कोरोनावायरस शरीर के अलग-अलग हिस्सों जैसे हार्ट और ब्रेन में पहुंचकर अधिकतम 230 दिन तक बना रह सकता है। कोरोना की पहली लहर में मरने वाले 44 मरीजों पर स्टडी की गई है।

शोध के अनुसार कोरोनावायरस शरीर के अलग-अलग हिस्सों जैसे हार्ट और ब्रेन में पहुंचकर अधिकतम 230 दिन तक बना रह सकता है। कोरोना की पहली लहर में मरने वाले 44 मरीजों पर स्टडी की गई है।

घातक बीमारी कोरोनावायरस पर हुई यह स्टडी कई मायनों में चौंकाती है। क्योंकि वैज्ञानिकों का कहना है कि सांसो के जरिए Corona के फेफड़े और दिमाग तक पहुंचने की पुष्टि पहले ही हो चुकी है। अब नए शोध में इसके दिल तक पहुंचने की बात सामने आना एक चिंता का विषय है।

शोध में नया खुलासा

हार्ट और लंग्स ही नहीं कोरोनावायरस दिमाग तक भी पहुंच सकता है। इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि वायरस हार्ट में कई महीनों तक बना रह सकता है। यानी यह लोड कोविड-19 जैसे बन सकता है। यह दावा यूएस के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिकों ने अपनी हालिया शोध में किया है।

कोरोनावायरस पर हुए नए अध्ययन कई मायने में चौंकाते हैं। क्योंकि वैज्ञानिकों का कहना है सांसो के जरिए कोरोना  के फेफड़ों और दिमाग तक पहुंचने की पुष्टि पहले ही हो चुकी थी। इस नए अध्ययन में इसके दिल तक पहुंचने की बात सामने आना एक चिंताजनक बात है। ओमीक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच यह रिसर्च लोगों को अलर्ट करने वाली है।

रिसर्च से जुड़ी कई बातें

230 दिनों तक शरीर में रह सकता है कोरोनावायरस

कोरोनावायरस पर की गई स्टडी की रिपोर्ट के अनुसार यह शरीर के अलग-अलग हिस्सों में जैसे हार्ट और दिमाग में पहुंचकर अधिकतम 230 दिनों तक बना रह सकता है। इसे समझने के लिए वैज्ञानिकों ने कोरोना की पहली लहर में मरने वाले 44 मरीजों पर अध्ययन किया। ये ऐसे मरीज हैं जिनकी कोरोना संक्रमण के पहले हफ्ते में ही मौत हो गई थी। इन मरीजों की ऑटोप्सी करके इनके दिल ,फेफड़े , छोटी आंत और एडिर्नल ग्लैंड के टिस्यूज से सैंपल लिए गए। इन सैंपल की जांच की गई।

पूरे शरीर पर में फैल सकता है संक्रमण

शोधकर्ताओं के अनुसार रिसर्च में यह बात सामने आई है कि वायरस का सबसे ज्यादा लोड सांस की नली और फेफड़ों में होता है। संक्रमण के शुरुआती दौर में वायरस शरीर के पूरे हिस्से में फैलना शुरू हो जाता है। यह कोशिकाओं को संक्रमित कर के दिमाग तक पहुंच सकता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार शरीर के अलग-अलग हिस्सों में वायरल लोड का पता लगाने के लिए टिश्यू प्रिजर्वेशन तकनीक का प्रयोग किया गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि लंबे समय से हम यह पता लगाने में जुटे हुए थे कि क्यों लॉन्ग कोविड-19 का असर पूरे शरीर पर पड़ता है ? इससे समझा जा सकता है।

जानिए क्या होता है लॉन्ग कोविड-19

नाम कोविड-19 की कोई मेडिकल परिभाषा नहीं है। विशेषज्ञ कहते हैं कि वायरस से संक्रमण होने और रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी मरीज कई दिनों तक इसके असर से जूझते रहते हैं। इसे ही लॉन्ग कोविड कहते हैं। जैसे कोरोना से उबरने के बाद भी महीनों तक थकान महसूस होना भी लॉन्ग कोविड-19 है। लॉन्ग कोविड से संक्रमित हो रहे दो लोगों के लक्षण बिल्कुल भी भिन्न हो सकते हैं। लेकिन सामान्य तौर पर लक्षण थकान, सांस लेने में दिक्कत, खांसी जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों का दर्द, सुनने और देखने की समस्याएं सिर दर्द आदि है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार स्टडी में वैज्ञानिकों ने यह बात साफ कर दी है कि कोरोना वायरस  एक से दूसरे अंग में पहुंचता है। यही वजह है कि मरीज लॉन्ग कोविड होते हैं और उनमें लंबे समय तक इसके लक्षण भी दिखाई देते हैं ।

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