SEBI चीफ Madhabi Puri Buch को लेकर हिंडनबर्ग के खुलासे के बाद अब उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। कांग्रेस पार्टी ने माधबी पूरी बुच पर तीन जगह से वेतन लेने का आरोप लगाया था। अब उन्हें लोक लेखा समिति तलब कर सकती है।
अमेरिकी शार्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद सेबी प्रमुख माधबी पूरी बुच चर्चा का केंद्र बनीं हुई हैं। हालांकि सेबी प्रमुख ने खुद पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया है। माधबी पूरी बुच पर हिंडनबर्ग के आरोपों के अलावा ICICI बैंक, ICICI प्रूडेंशियल और सेबी से सैलरी लेने के आरोप के अलावा संस्था के कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगा है। देश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सेबी प्रमुख के इस्तीफे की मांग की है।
अब सरकारी खर्चों पर नजर रखने वाली संस्था लोक लेखा समिति भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के खर्च की भी नजर रखेगी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, PAC अपना अजेंडा अधिसूचित करने के बाद, समीक्षा प्रक्रिया के लिए सेबी प्रमुख को भी तलब कर सकती है। ऐसे में माधबी पूरी बुच की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उन्हें PAC के सभी सवालों का जवाब देना पड़ सकता है।
हिंडनबर्ग के आरोप के अनुसार, गौतम अडानी के अडानी ग्रुप के विदेशी फंड में सेबी चीफ माधबी पूरी और उन पति धवल बुच की भी हिस्सेदारी थी। शार्ट सेलर कंपनी ने सेबी प्रमुख और अडानी के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया था। इससे पहले हिंडनबर्ग ने गौतम अडानी पर शेयरों में हेरफेर करने का आरोप लगाया था।
शॉर्ट सेलर कंपनी के आरोपों के बाद कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर माधबी पूरी बुच पर तीन जगहों से एकसाथ वेतन लेने का आरोप लगाया था। पवन खेड़ा के अनुसार, माधबी पूरी बुच ने 2017 से लेकर 2024 से बैंक से 16.80 करोड़ रुपए लिए हैं।
वहीं, माधबी पूरी बुच और उनके पति धवल बुच ने खुद पर लगे सभी आरोपों को निराधार बताया है। बुच दंपति ने एक साझा बयान में कहा था कि कुछ भी छुपाया नहीं गया है। आरोप बेबुनियाद हैं।