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सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में प्रशांत भूषण को 24 अगस्त तक माफीनामा दाखिल करने का समय दिया

अगस्त 21, 2020 | by

Supreme Court gives Prashant Bhushan time till August 24 to file apology in contempt case

अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को अपने लिखित ब्यान पर फिर से विचार करने के लिए 24 अगस्त 2020 तक का समय दिया है।

प्रशांत भूषण को माफीनामा दाखिल करने के लिए समय दिया गया

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की पीठ ने माफी मांगने से इंकार करने के बाद वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण को अपने बयान पर पुनर्विचार करने के लिए दो-तीन दिनों का समय दिया है। अदालत में अवमानना ​​के दोषी ठहराए जाने के बाद सजा की मात्रा पर भूषण की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

 25 अगस्त को सजा सुनाई जा सकती है

वकील प्रशांत भूषण को कोर्ट अवमानना मामले में गुरूवार के दिन सुप्रीम कोर्ट ने बहस के बाद अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया है। अदालत ने सुनवाई के बाद कहा कि अगर प्रशांत भूषण चाहें तो 24 अगस्त तक अपना माफीनामा दाखिल कर सकते हैं। अगर वो माफीनामा दाखिल करते हैं तो 25 अगस्त 2020 को इस पर विचार किया जाएगा। अगर वे ऐसा नहीं करते है तो कोर्ट सजा पर फैसला सुनाएगी। बता दें, 14 अगस्त 2020 को मामले की सुनवाई पूरी की गई थी और 20 अगस्त सजा की तारीख रखी थी।

20 अगस्त को सर्वोच्च अदालत में बहस के दौरान अटॉर्नी जनरल ने माना कि प्रशांत भूषण को उनके ब्यान पर फिर से सोचने के लिए समय दिया जाना चाहिए। उन्होंने कोर्ट में बहुत काम किया है।

प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने कोर्ट में बहस के दौरान कहा कि सजा देते समय कोर्ट को प्रशांत भूषण के योगदान को ध्यान में रखना चाहिए। जिस पर, जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि मैंने अपने पुरे करियर में एक भी व्यक्ति को अदालत की अवमानना का दोषी नहीं ठहराया है।

क्या प्रशांत भूषण माफीनामा दाखिल करेंगे ?

सामाजिक कार्यकर्ता और वकील प्रशांत भूषण ने सजा की सुनवाई के दौरान कहा ,” मेरे ट्वीट एक नागरिक के रूप में मेरे कर्तव्य को निभाने के लिए थे। ये अवमानना के दायरे से बाहर हैं। अगर मैं इतिहास के इस मोड़ पर नहीं बोलता तो मैं अपने कर्तव्य में असफल होता अदालत जो सजा देगी, मैं उसको भुगतने के लिए तैयार हूं। मैं माफ़ी नहीं मांग रहा हूं।

पुनर्विचार का समय दिए जाने पर प्रशांत भूषण ने साफ-साफ कह दिया कि आपको समय देना है, दीजिए, अपने वकील से विचार कर लूंगा। लेकिन मेरा स्टैंड नहीं बदलेगा। इससे अदालत का समय बर्बाद होगा।

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