4pillar.news

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द किया

फ़रवरी 15, 2024 | by

Supreme Court quashes electoral bond scheme

Supreme Court ने इलेक्टोरल बांड योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मतदाताओं को पार्टी की फंडिंग का सोर्स जानने का अधिकार है। इसके साथ ही उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को कहा कि बैंक को बताना होगा कि उसे बांड में कहां से और कितने पैसे मिले।

लोक सभा चुनाव 2024 से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बांड को लेकर अपना फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावी बांड को अवैध बताते हुए इस पर रोक लगा दी है। अदालत ने कहा कि चुनावी बांड सुचना के अधिकार का उल्लंघन है। सभी मतदाताओं को पार्टी की फंडिंग के सोर्स को जानने का अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इलेक्टोरल बांड को लेकर फैसला सुनाया। राजनीतिक दलों को गुमनामी दान देने की अनुमति वाले चुनावी बांड पर चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पादरीवाला ,जस्टिस संजीव खन्ना , जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने आज 15 फरवरी 2024 को अपना फैसला सुनाया।

सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा,” काले धन पर अंकुश लगाना और दानकर्ताओं की पहचान गुप्त रखना चुनावी बांड का बचाव या राजनीतिक निष्कर्षों में पारदर्शिता की जरूरत का अधिकार नहीं हो सकता। यह योजना सुचना के अधिकार का उल्लंघन करती और इससे बदले की भावना पैदा हो सकती है। ”

पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 2 जनवरी 2018 को इलेक्टोरल बांड योजना को अधिसूचित किया था। जिसके अनुसार, भारत का कोई भी नागरिक चुनावी बांड को बैंक से खरीद सकता है। अधिसूचना में कहा गया था कि जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 कोई धारा 29ए के तहत चुनाव आयोग द्वारा पंजीकृत राजनितिक दल चुनावी बांड को स्वीकार कर सकते हैं। ये बांड वो ही राजनीतिक दल स्वीकार कर सकते हैं,जिन्हे पिछले लोक सभा या विधान सभा चुनाव में एक फीसदी या उससे अधिक मत मिले हों। इलेक्टोरल बांड को किसी भी राजनीतिक दल द्वारा केवल अधिकृत बैंक अकाउंट से कैश किया जा सकता है।

क्या है चुनावी बांड ?

इलेक्टोरल बांड की शुरुआत साल 2018 में हुई थी। इसे लागु करने के पीछे यह धारणा दी गई थी कि राजनीतिक पार्टियों के दिए जाने वाले चंदे में पारदर्शिता आएगी और काले धन पर लगाम लगेगी। इसमें व्यक्ति, संस्थाएं और कॉर्पोरेट बांड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदा देते हैं। राजनीतिक दल बांड को भुना कर चंदा हासिल करते हैं। केंद्र सरकार ने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की 29 शाखाओं को इलेक्टोरल बांड जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत किया।एसबीआई की ये शाखाएं बेंगलुरु, कोलकता, नई दिल्ली, चेन्नई,मुंबई , गांधीनगर, रांची, पटना,  चंडीगढ़,जयपुर , भोपाल और गुवाहाटी में हैं।

राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बांड से फायदा

इस योजना के तहत कोई भी दानकर्ता अपनी पहचान को छुपाते हुए स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से एक करोड़ रुपए तक के इलेक्टोरल बांड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदा दे सकता है। इसमें खास बात ये है कि चुनावी बांड खरीदने वाले की पहचान गुप्त रहती है और उसे टैक्स में छूट मिलती है। 2018 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था ,” इलेक्टोरल बांड से चुनावी फंड में पारदर्शिता बढ़ेगी और साफ सुथरा चंदा मिलेगा। “

RELATED POSTS

View all

view all