ED Electoral Bonds: लोक सभा चुनाव 2024 की घोषणा से पहले, सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा चुनाव आयोग को दे दिया है। जिसे चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। इलेक्टोरल बॉन्ड्स का डाटा सार्वजनकि होने के बाद अब ऐसी कई कंपनियों के नाम सामने आए हैं, जिन पर ED, CBI और इनकम टैक्स विभाग की छापेमारी हुई थी, उन्ही ने सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश अनुसार, चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स का डाटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। साल 2019 से लेकर 2024 के बीच राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चुनावी चंदा देने वाली पांच शीर्ष कंपनियों में से तीन ऐसी कंपनियां हैं जिन्होंने चुनावी बॉन्ड ED, सीबीआई और आयकर विभाग की छापेमारी के बाद खरीदे। इनमें लॉटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग और दिग्गज कंपनी वेदांता सहित कई कंपनियां शामिल हैं।
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड चुनावी बॉन्ड के डाटा के अनुसार, पहले स्थान पर सैंटियागो मार्टिन द्वारा संचालित फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स प्राइवेट लिमिटेड है। इस कंपनी ने वर्ष 2019 से लेकर 2024 तक 1300 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे हैं यानि कंपनी ने इतना चंदा दिया है। 2019 में ही प्रवर्तन निदेशालय ( ED ) ने फ्यूचर गेमिंग कंपनी के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग के प्रावधानों के तहत जांच शुरू की थी। इस कंपनी का वर्तमान में नाम फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड है। ईडी ने कंपनी के खिलाफ सीबीआई की चार्जशीट के बाद रेड की थी।
ED Electoral Bonds: प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार, मार्टिन सैंटियागो और अन्य ने लॉटरी विनियम अधिनियम, 1998 के प्रावधानों का उल्लंघन किया था और सिक्किम सरकार को धोखा देकर गलत तरीके से लाभ प्राप्त करने की साजिश रची थी। 22 जुलाई 2019 को दिए गए ईडी के ब्यान के अनुसार, मार्टिन सैंटियागो और उसके सहयोगियों ने 1 अप्रैल 2009 से लेकर 31 अगस्त 2010 की अवधि के बीच पुरस्कार विजेताओं के टिकटों के दावे को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया था और 910.3 करोड़ रुपए की अवैध कमाई की थी।
चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा देने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंस्फ्रास्ट्रक्चर है। हैदराबाद स्थित कंपनी ने 2019 से लेकर 2024 के बीच 1000 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं। अक्टूबर 2019 में MEIL के दफ्तरों पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की रेड हुई थी। इसके बाद ईडी ने जाँच शुरू की थी। उसी साल कंपनी ने 12 अप्रैल 2019 को 50 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे थे।
अनिल अग्रवाल का वेदांता ग्रुप पांचवां सबसे बड़ा दानकर्ता है। वेदांता समूह ने 2019 से लेकर 2024 तक 376 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं। 2018 में ईडी ने दावा किया था कि जांच एजेंसी के पास वीजा के लिए रिश्वत मामले में वेदांता समूह के खिलाफ संलिप्तता के सबूत हैं। ईडी ने कहा था की वेदांता समूह ने नियमों को तोड़कर कुछ चीनी नागरिकों को वीजा दिया था। चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार, वेदांता समूह ने इलेक्टोरल बॉन्ड की पहली किश्त 2019 में खरीदी थी।
जिंदल ग्रुप की जिंदल स्टील एंड पावर ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए राजनीतिक दलों को 123 करोड़ रुपए का दान दिया है। इसी कंपनी को कोयला ब्लॉक आबंटन मामले में कई केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा की गई जांच का सामना करना पड़ा। प्रवर्तन निदेशालय ने अप्रैल 2022 में कंपनी और उसके प्रमोटर नवीन जिंदल के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह छापेमारी PMLA के तहत की गई थी।
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हेटेरो ड्रग्स एंड हेटेरो लैब्स ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए राजनीतिक दलों को 60 करोड़ रुपए का चुनावी चंदा दिया है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने वर्ष 2021 में हेटेरो ड्रग्स एंड हेटेरो लैब्स के सनथ नगर स्थित परिसरों पर छापा मारा था। इस समय आईटी विभाग ने कहा था कि हेटेरो ड्रग्स एंड हेटेरो लैब्स के यहां से रेड के दौरान 550 करोड़ रुपए की बेहिसाबी इनकम का पता चला है।
इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए सबसे ज्यादा चुनावी चंदा देने वाली दस कंपनियां
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