RTI एक्टिविस्ट दिवाकर त्रिपाठी ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की डिग्री फर्जी है। याचिकाकर्ता ने कई अधिकारियों को मौर्य की डिग्री के बारे में जांच आवेदन किया लेकिन किसी ने भी कार्रवाई नहीं की। जिसके बाद उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया ।
याचिकाकर्ता दिवाकर त्रिपाठी ने किया खुलासा
स्थानीय अदालत में कर्बला के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता दिवाकर त्रिपाठी ने प्रार्थना पत्र दायर किया है। दिवाकर ने मांग की है कि इस केस में छावनी थाना प्रभारी को आदेश दिया जाए कि प्राथमिकी दर्ज की जाए। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम की डिग्री को लेकर एक बार फिर बवाल खड़ा हो गया है।
मौर्य पर फर्जी डिग्री के जरिए चुनाव लड़ने और पेट्रोल पंप हासिल करने का आरोप लगा
केशव प्रसाद मौर्य ने पहली बार 2007 में विधानसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने अपने शैक्षणिक प्रमाण पत्र में हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा जारी पहली और दूसरी साल की डिग्री लगाई थी। हालांकि यह डिग्री किसी भी बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं है। इन्हीं डिग्रियों के आधार पर केशव प्रसाद मौर्य ने इंडियन ऑयल कारपोरेशन से पेट्रोल पंप का लाइसेंस प्राप्त किया था। याचिकाकर्ता ने अदालत में यह भी आरोप लगाया कि डिप्टी सीएम के प्रमाण पत्र में अलग-अलग साल लिखे हुए हैं। जो की मान्यता प्राप्त नहीं है। आरटीआई एक्टिविस्ट का आरोप है कि उन्होंने कई बारे में कई सरकारी अधिकारियों को एप्लीकेशन दी थी। लेकिन किसी ने भी कार्रवाई नहीं की अंत में उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
मजिस्ट्रेट ने दिए जांच के आदेश
आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा स्थानीय अदालत में प्रार्थना पत्र पेश किया गया। जिसके बाद अदालत ने संबंधित थाने से मामले की रिपोर्ट मांगी है। इस मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के फर्जी डिग्री मामले की सुनवाई एडिशनल चीफ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट नम्रता सिंह ने कैंट थाना प्रभारी को आरोपों की जांच के बाद रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। नम्रता सिंह ने केशव प्रसाद मौर्या के खिलाफ दर्ज किसी भी अन्य केस के बारे में भी पूछताछ के लिए कहा है। जिसके बाद कार्यालय को भी निर्देश दिया कि 27 जुलाई को प्रार्थना पत्र पेश किया जाए ।