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क्या होता है पॉलीग्राफी टेस्ट ? कोलकाता कांड के आरोपी का सीबीआई करेगी लाई डिटेक्टर टेस्ट, हेमराज आरुषि मर्डर केस में भी हुआ था नार्को टेस्ट

अगस्त 20, 2024 | by pillar

What is polygraphy test

polygraphy test और narco test आरोपी से सच उगलवाने के लिए किए जाते हैं। Hemraj और Aarushi मर्डर केस में भी पीड़िता के पिता राजेश तलवार का नार्को टेस्ट हुआ था। अब कोलकाता में डॉ मौमिता के रेपिस्ट संजय रॉय का लाई डिटेक्टर टेस्ट होगा।

झूठ पकड़ने की मशीन को लाई डिटेक्टर टेस्ट या फिर पोलोग्राफ टेस्ट भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल आदमी कितना झूठ  और सच बोल रहा है, जानने के लिए किया जाता है। मशीन के कुछ हिस्सों को शख्स के शरीर के कई हिस्सों से जोड़ा जाता है। ( जैसे डॉ ईसीजी करने के लिए मशीन जोड़ते हैं. )

कैसे काम करती है पॉलीग्राफी मशीन?

मशीन व्यक्ति के दिल की धड़कन और सांस लेने की गति मापती है। टेस्ट होने के बाद स्पेशलिस्ट आंकड़ों का मिलान कर तय करते हैं कि व्यक्ति ने कितना जुठ और कितना सच बोला है। हालांकि इस मशीन के नतीजों पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जब कई शातिर अपराधियों ने इस मशीन के आंकड़ों को भी फेल कर दिया है।

झूठ पकड़ने वाली मशीन में अलग-अलग उपकरण होते हैं। इन उपकरणों को आरोपी के सीने, हाथ पैर और माथे से जोड़ा जाता। उसके बाद आरोपी से सवाल पूछे जाते हैं ( सवालों की लिस्ट पहले ही तैयार कर ली जाती है। ) जब आरोपी झुठ बोलता है तो उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है। स्वास गति में भी बदलाव आ जाता है। उसको पसीना आना शुरू हो जाता है। इन्ही बदलावों से उसके झूठ और सच का पता चलता है।

पॉलीग्राफी मशीन कब बनी ?

इटली के डॉक्टर एंजेलो मोशो ने दुनिया की सबसे पपहली पॉलीग्राफ मशीन को बनाया था। 1878 में पहली बार इस मशीन का इस्तेमाल किया गया था। उसके बाद बीसवीं सदी में अमेरिकी मनोवैज्ञानिक विलियम मैरस्टरान ने कैलिफोर्निया के एक पुलिस अधिकारी जॉन लार्सन ने इस मशीन में कई सुधार किए। 1921 में जॉन लार्सन ने एक अपराधी पर इस मशीन का इस्तेमाल किया।

मौमिता के दोषी संजय रॉय का होगा पॉलीग्राफी टेस्ट

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल की ट्रेनी डॉक्टर मौमिता के रेप और मर्डर की जांच अब सीबीआई के हाथों में है। सीबीआई हर एंगल से इस मामले की जाँच में जुटी। हाल ही में सीबीआई को आरोपी संजय रॉय का पॉलीग्राफी टेस्ट कराने की मंजूरी मिली है। केंद्रीय जांच ब्यूरो जल्द ही आरोपी का पॉलीग्राफी टेस्ट कराएगी। पॉलीग्राफी टेस्ट के दौरान संजय रॉय से केस से जुड़े कई सवाल पूछे जाएंगे। लाई डिटेक्टर टेस्ट में आरोपी संजय कितना सच बताएगा ? इस बारे में कहना अभी मुश्किल है।

हेमराज आरुषि मर्डर केस में नार्को टेस्ट

एक दशक पहले दिल्ली की आरुषि तलवार और उनके नौकर हेमराज की हत्या का मामला काफी सुर्ख़ियों में रहा था। दिल्ली पुलिस, अपराध शाखा, CID और CBI जैसी जांच एजेंसियों ने हेमराज और आरुषि मर्डर मिस्ट्री को सॉल्व करने की बहुत कोशिश की थी। जांच एजेंसियों ने हर उस एंगल से जांच की, जिससे इस डबल मर्डर मिस्ट्री को सॉल्व किया जा सके। सीबीआई इस मामले में कई साल तक जांच करती रही।

सीबीआई ने आरुषि मर्डर केस में पीड़िता के पिता डॉक्टर राजेश तलवार का नार्को टेस्ट करवाया था। हालांकि, नार्को टेस्ट के बाद भी सीबीआई के हाथ कुछ नहीं लगा। मामले के जानकार बताते हैं कि डॉ राजेश तलवार ने नार्को टेस्ट मशीन को धत्ता बता दिया था। कहने का मतलब ये है कि डॉक्टर तलवार के झूठ या सच को मशीन भी नहीं पकड़ पाई थी।

आरुषि मर्डर केस

बाद में तलवार दंपति ने खुद आरोप को कबूल किया था और पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था। तलवार दंपति लगभग चार साल तक डासना जेल में रहे। जिसके बाद उन्हें सबूतों के आभाव में जेल से रिहा कर दिया था। आरुषि की मां नूपुर तलवार और पिता राजेश तलवार पेशे से डेंटिस्ट हैं। जेल के दौरान दोनों कैदियों का मुफ्त इलाज किया था।

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