World Ayurveda Day : विश्व आयुर्वेद दिवस हर वर्ष धन्वंतरि जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
यह दिन Ayurveda के प्रचार, प्रसार और महत्व को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। यह जनता को इसके लाभों के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है।
World Ayurveda Day: विश्व आयुर्वेद दिवस की शुरुआत
विश्व आयुर्वेद दिवस की शुरुआत 2016 में हुई थी। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने इसकी शुरुआत की थी। ताकि प्राचीन आयुर्वेद पद्धति को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल सके।
विश्व आयुर्वेद दिवस मनाने का उद्देश्य (World Ayurveda Day)
इस दिन (World Ayurveda Day) का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेद के सिद्धांतों को जन जन तक पहुंचाना है। इसकी वैज्ञानिकता को उजागर करना और इसे आधुनिक चिकित्सा के साथ एकीकृत करने की दिशा में प्रयास करना है।
आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि की जयंती को इस दिन के लिए चुना गया है। भगवान धन्वंतरि को World Ayurveda का जनक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान समंदर से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। जो स्वास्थ्य और अमरता का प्रतीक है।
विश्व आयुर्वेद दिवस का महत्व
विश्व आयुर्वेद दिवस का महत्व (World Ayurveda Day) निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है।
- यह दिन लोगों को आयुर्वेद के प्राकृतिक समय उपचार के तरीकों के बारे में शिक्षित करता है।
- आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर एक विश्वसनीय चिकित्सा पद्धति के रूप में स्थापित करने में मदद करता है। WHO ने आयुर्वद को पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के रूप में मान्यता दी है।
- यह रासायनिक दवाओं के दुष्प्रभाव से बचने और प्राकृतिक उपचार को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
- आयुर्वेद भारत की प्राचीन सांस्कृतिक और वैज्ञानिक विरासत का हिस्सा है। इस दिन के माध्यम से इस विरासत को सरंक्षित और प्रचारित किया जाता है।
- आयुर्वेद को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ जोड़कर एक समग्र स्वास्थय प्रणाली विकसित करने की दिशा में प्रयास किए जाते हैं।
5 प्रमुख आयुर्वेद उपचार विधियां
पंचकर्मा उपचार विधि
पंचकर्मा आयुर्वेद की सबसे प्रसिद्ध और प्रभावी शोधन प्रक्रिया है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने और वात, पित्त और कफ दोषों को संतुलित करने के लिए की जाती है।
- वमन : उल्टी के माध्यम से विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना।
- विरेचन : इसके माध्यम से पित्त दोषों को संतुलित किया जाता है।
- बस्ति : औषधीय तेल या काढ़े का गुदा मार्ग के माध्यम से उपयोग करना।
- नस्य : नाक के माध्यम से औषधीय तेल या चूर्ण का उपयोग करना।
- रक्तमोक्षण : रक्त शोधन के लिए।
रसायन चिकित्सा पद्धति
रसायन चिकित्सा आयुर्वेद का एक हिस्सा है जो दीर्घायु, युवावस्था और समग्र स्वास्थय को बढ़ावा देता है। यह शरीर के उत्तकों को पोषण देता है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसमें च्यवनप्राश , अश्गंधा , त्रिफला , आमलकी और ब्राह्मी जैसे औषधीय पदार्थों का उपयोग किया जाता है। यह उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है।
आहार चिकित्सा विधि
World Ayurveda Day: आयुर्वेद में आहार को चिकित्सा माना जाता है। यह व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार आहार की सलाह देता है। वात प्रकृति के लिए गर्म , तेलीय और पौष्टिक भोजन। पित्त प्रकृति के लिए ठंडा, हल्का और कम मसालेदार भोजन। कफ प्रकृति के लिए हल्का , गर्म और कम चिकनाई वाला भोजन। यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है , दोषों को संतुलित और रोगों को कम करता है।
World Ayurveda Day: औषधीय चिकित्सा पद्धति
आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों और खनिजों का उपयोग रोगों के उपचार और रोकथाम के लिए किया जाता है। ये औषधियां काढ़े , तेल वटी और चूर्ण के रूप में दी जाती हैं। उदाहरण के लिए तुलसी , नीम , अदरक , गिलोय ,अर्जुन और हल्दी जैसी जड़ी बूटियां विभिन्न रोगों के लिए उपयोग की जाती हैं। यह प्राकृतिक रूप से रोगों का उपचार करने की बेहतर पद्धति है।
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World Ayurveda Day: ध्यान और योग पद्धति
आयुर्वेद में योग और ध्यान को शारीरिक , मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थय के लिए महत्पूर्ण माना जाता है। यह दोषों की संतुलित और मन को शांत करने के लिए मदद करता है।