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बुलडोजर न्याय पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ का आखिरी फैसला, UP सरकार पर ठोका भारी जुर्माना

नवम्बर 10, 2024 | by pillar

CJI DY Chandrachud on bulldozer justice

Bulldozer Justice: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बुलडोजर न्याय पर अपने कार्यकाल का आखिरी फैसला सुनाया है। उन्होंने यूपी सरकार पर 25 लाख का जुर्माना लगाया।

दो साल से भी अधिक समय तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ अब पद से रिटायर हो गए हैं। उन्होंने अपने दो वर्ष के कार्यकाल के अंतिम फैसले में बुलडोजर न्याय की कड़ी निंदा की है। इसके साथ ही जस्टिस चंद्रचूड़ ने उत्तर प्रदेश सरकार को पीड़ित को 25 लाख रुपए जुर्माने के तौर पर देने का आदेश दिया है।

अपने सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा,” बुलडोजर जस्टिस न सिर्फ कानून के शासन के खिलाफ है बल्कि यह मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन है। अगर बुलडोजर जस्टिस की अनुमति दी गई तो आर्टिक्ल 300A के तहत संपत्ति के अधिकार की क़ानूनी मान्यता एक डेड लेटर बन जाएगी। ”

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Bulldozer Justice एक गंभीर खतरा

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रहे जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने अंतिम फैसले में कहा,” बुलडोजर जस्टिस एक गंभीर खतरा है। यदि राज्य के किसी भी विंग या अफसर द्वारा इस तरह के गैरकानूनी व्यवहार की अनुमति दी जाती है तो नागरिकों की संपत्तियों का ध्वस्तीकरण चुनिंदा प्रतिशोध के रूप में होगा।

Bulldozer Justice पर कोर्ट के आदेश

  • उचित सर्वे के बाद ही अतिक्रमण या बुलडोजर चलाया जा सकता है।
  • अधिकारीयों को पहले भूमि का रिकॉर्ड और मैप को सत्यापित करना होगा।
  • अतिक्रमण से पहले अधिकारी तीन लिखित नोटिस भेजेंगे।
  • आपत्तियों पर विचार करने के बाद ही स्पष्ट आदेश दिया जा सकता है।
  • उचित समय दिया जाना चाहिए।
  • भूमि का क़ानूनी रूप से अधिग्रहण किया जाना चाहिए।

बता दें, सितंबर 2019 में यूपी के महराजगंज जिला में पत्रकार मनोज टिबरेवाल के घर पर यूपी प्रशासन ने बुलडोजर चलाने का आदेश दिया था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए इसे क्रूर प्रक्रिया बताया।

Bulldozer Justice मामले में पीड़ित को मुआवजा देने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को याचिकाकर्ता मनोज आकाश को 25 लाख रुपए का अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दिया है। इसकेसाथ ही अदालत ने मुख्य सचिव को घर को ध्वस्त करने का दोषी करार देते हुए फटकार लगाई। कोर्ट ने अधिकारीयों और ठेकेदारों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।

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