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सियाचिन में शहीद हुए जवान चंद्रशेखर हर्बोला का शव 38 साल बाद बंकर में मिला

लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला 19 कुमाऊं रेजिमेंट में सेवारत थे। 1984 में भारत और पाकिस्तान के सैनिकों के बीच हुई झड़प में हर्बोला शहीद हो गए थे। अब 38 साल बाद उनका शव दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में मिला है। वह उत्तराखंड के अल्मोड़ा में द्वारहाट के हाथीगुर बिंटा गांव के रहने वाले थे।

लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला 19 कुमाऊं रेजिमेंट में सेवारत थे। 1984 में भारत और पाकिस्तान के सैनिकों के बीच हुई झड़प में हर्बोला शहीद हो गए थे। अब 38 साल बाद उनका शव दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में मिला है। वह उत्तराखंड के अल्मोड़ा में द्वारहाट के हाथीगुर बिंटा गांव के रहने वाले थे।

38 साल बाद मिला जवान का शव

भारत पाकिस्तान के बीच 1984 में हुई झड़प में 38 साल पहले लापता हुए जवान चंद्रशेखर हर्बोला का शव दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन के एक बंकर में मिला है। वह पाकिस्तान की सेना के झड़प के दौरान बर्फीले तूफान की चपेट में आ गए थे।

सियाचिन के एक बंकर में मिला

दुनिया की सबसे ऊंची रणभूमि सियाचिन के एक बंकर में लांच नायक चंद्रशेखर हर्बोला का शव 38 साल बाद मिला है। इस बात की जानकारी रविवार के दिन कुमाऊं रेजिमेंट रानीखेत के सैनिक ग्रुप केंद्र की तरफ से शहीद के परिजनों को दी गई है।

चार दशक का इंतजार खत्म

1984 में शांति देवी को उनके पति चंद्रशेखर हर्बोला के लापता होने की सुचना मिली थी। तब से वह अपने पति के पार्थिव शरीर का इंतजार कर रही थी। शांति देवी ने बताया कि शादी के नौ साल बाद उनके पति सियाचिन झड़प में लापता हो गए थे। उस समय उनकी उम्र 28 साल थी। उनकी बड़ी बेटी की उम्र चार साल और छोटी बेटी की उम्र डेढ़ साल थी। 65 वर्षीय शांति देवी ने बताया कि उन्होंने जीवन की सभी चुनौतियों का सामना करते हुए बच्चों को एक शहीद की पत्नी के रूप में पाला।

शांति देवी के अनुसार, जनवरी 1984 में जब उनके पति हर्बोला छुट्टी लेकर घर आए थे तब उन्होंने जाते समय जल्द वापस लौटने का वादा किया था। शांति देवी ने कहा कि उन्हें अपने पति की शहादत पर गर्व है ,जिन्होंने परिवार से किए गए वादे की जगह अपने फर्ज को प्राथमिकता दी।

ऑपरेशन मेघदूत

चंद्रशेखर हर्बोला 1975 में भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। 1984 में जब भारत-पाक के बीच टकराव हुआ तब ऑपरेशन मेघदूत चलाया गया। ऑपरेशन मेघदूत के तहत लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला सहित 20 जवानों को सियाचिन में गश्त पर भेजा गया।

गश्त के दौरान सभी सैनिक बर्फीले तूफ़ान की चपेट में आ गए थे। इस हादसे में शहीद हुए 15 जवानों के शव उसी समय बरामद कर लिए गए थे। लेकिन चंद्रशेखर हर्बोला सहित 5 जवानों के अवशेष नहीं मिले थे। अब 38 बाद हर्बोला का शव मिला है।

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