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Pegasus Espionage Case: पेगासस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मीडिया रिपोर्ट्स सही है तो आरोप काफी गंभीर हैं

अगस्त 5, 2021 | by

Pegasus Espionage Case: In the Pegasus case, the Supreme Court said that if the media reports are true then the allegations are very serious.

पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध करने वाली 9 याचिकाओं पर चीफ जस्टिस आफ इंडिया एनवी रमना की पीठ ने आज पहली सुनवाई की है। दायर की गई याचिका में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकार शशि कुमार और एन राम द्वारा दी गई एप्लीकेशन भी शामिल हैं। अदालत ने कहा कि अगर मीडिया रिपोर्ट्स सही है तो यह काफी गंभीर मामला है।

पेगासस मामले की कोर्ट में पहली सुनवाई 

इजराइल की कंपनी एनएसओ द्वारा तैयार किया गया पेगासस सॉफ्टवेयर जासूसी मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। इससे पहले संसद में भी पेगासस को लेकर काफी हंगामा हुआ। गुरुवार के दिन पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध करने वाली 9 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ सुनवाई की है। इन याचिकाओं में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के वरिष्ठ पत्रकारों, एन  राम तथा शशि कुमार द्वारा दी गई अर्जियां भी शामिल है।

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अगर मीडिया रिपोर्ट्स सही है तो यह आरोप काफी गंभीर है। केस में जनहित याचिका दाखिल करने वाले वकील एम एल शर्मा ने सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल को रोका तो सीजेआई ने इस पर आपत्ति जताई।

कोर्ट ने कहा कि क्या हम ही तथ्य जुटाएं 

भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने एम एल शर्मा से कहा,” आप की याचिका में अखबारों की कटिंग के अलावा क्या डिटेल है? आप चाहते हैं कि सारी जांच हम करें और तथ्य जुटाए। यह जनहित याचिका दाखिल करने का कोई तरीका नहीं है।” सर्वोच्च अदालत की दो जजों की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में विदेशी कंपनियां भी शामिल हैं। यह एक गंभीर मसला है। नोटिस लेने के लिए केंद्र की तरफ से किसी को पेश होना चाहिए था। इस केस की अगली सुनवाई अब 10 अगस्त को होगी।

जानिए कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या-क्या कहा गया

पेगासस मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस आफ इंडिया रमना ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि 2019 में पेगासस का मुद्दा सामने आया और किसी ने भी जासूसी के बारे में सत्यापन योग्य सामग्री इकट्ठा करने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया। उन्होंने कहा कि ज्यादातर जनहित याचिका राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के समाचार पत्रों की कटिंग पर आधारित है।

CJI ने कहा कि हम यह नहीं कह सकते कि इस मामले में बिलकुल कोई सामग्री नहीं है। हम सबको समाचार पत्रों की रिपोर्ट और प्रतिष्ठित पत्रकारों की सामग्री नहीं कहना चाहते हैं।  जिन लोगों ने याचिका दायर की उनमें से कुछ ने दावा किया है कि उनके फोन हैक किए गए हैं। आप आईटी और टेलीग्राफिक अधिनियम के प्रावधानों को अच्छी तरह जानते हैं। ऐसा लगता है कि उन्होंने शिकायत दर्ज करने की कोई कोशिश नहीं की है। यह चीजें हमें परेशान कर रही है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की दलील पर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सूचना तक हमारी सीधी पहुंच नहीं है। एडिटर्स गिल्ड की याचिका में जासूसी के  37 सत्यापित मामले हैं।

किसी ने भी आपराधिक शिकायत दर्ज कराने का कोई प्रयास नहीं किया

प्रधान न्यायाधीश ने कहा,” मैं यह नहीं कहना चाहता कि दलीलों में कुछ नहीं है। याचिका दायर करने वाली कुछ याचिकाएं प्रभावित नहीं होती हैं और कुछ का दावा है कि उनके फोन हैक हुए हैं। लेकिन उन्होंने आपराधिक शिकायत दर्ज कराने का कोई प्रयास नहीं किया है। जिन लोगों को याचिका करनी चाहिए थी वह अधिक जानकार और साधन संपन्न है। उन्हें अधिक सामग्री डालने के लिए अधिक मेहनत करनी चाहिए थी।”

सीजेआई ने आगे कहा कि हलफनामे के मुताबिक कुछ भारतीय पत्रकारों की भी जासूसी की गई है। यह कैलिफोर्निया कोर्ट ने भी कहा है कि लेकिन यह ब्यान गलत है। कैलिफ़ोर्निया कोर्ट ने ऐसा कुछ नहीं कहा। सीजेआई ने पूछा कि अभी वहां कोर्ट का क्या क्या स्टेटस है? इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि अभी केस चल रहा है। इसके अलावा सिब्बल ने कहा हम यह भी यही कह रहे हैं कि सरकार सारी बातों का खुलासा करें। जैसे कि किसने कॉन्ट्रैक्ट लिया और कितने पैसे दिए?

कपिल सिब्बल ने कहा कि व्हाट्सएप के अनुसार इजराइली एजेंसी ने पेगासस 1400 लोगों के लिए बनाया। जिसमें 100 भारतीय भी हैं। उन्होंने कहा कि मंत्री ने भी बयान दिए हैं।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ का खुलासा 

आपको बता दें अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने एक खबर में दावा किया कि 300 सत्यापित भारतीय मोबाइल नंबर पर पेगासस स्पाइवेयर के जरिए जासूसी के निशाने वाली सूची में शामिल थे। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अपनी अर्जी में अनुरोध किया है कि पत्रकारों और अन्य सर्विलांस की जांच कराने के लिए विशेष जांच दल का गठन किया जाए।

एडिटर्स गिल्ड ने अपनी अर्जी में वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे की भी याचिका है, जिसमें कहा गया है कि उसके सदस्य और सभी पत्रकारों का काम है कि वह सूचना और स्पष्टीकरण मांग कर और राज्य की कामयाबी और नाकामियों का लगातार विश्लेषण करके सरकार के सभी अंगों को जवाबदेह बनाएं।

सरकार को आदेश देने की मांग 

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की याचिका में इलेक्ट्रॉनिक निगरानी हैकिंग और स्पाइवेयर के उपयोग और निगरानी के लिए मौजूदा कानून व्यवस्था की वैधता को चुनौती दी गई है। SIT द्वारा जांच करवाने के अलावा गिल्ड ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि कोर्ट सरकार को आदेश दे कि वह सॉफ्टवेयर खरीद मामले के तमाम दस्तावेज कोर्ट को सौंपे।

बता दें एनएसओ के लीक हुए डेटाबेस की सूची में नेता राहुल गांधी सहित विपक्ष के कई नेताओं के साथ-साथ बीजेपी केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और अश्विनी वैष्णव, उद्योगपति अनिल अंबानी, सीबीआई के पूर्व प्रमुख और कम से कम 40 पत्रकार शामिल थे। हालांकि यह सत्यापित नहीं हुआ कि इन सभी के फोन हैक  किए गए थे या नहीं।

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