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अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने की थी आत्महत्या, इसलिए नहीं दिया गया गॉर्ड ऑफ़ ऑनर: भारतीय सेना

भारतीय सेना ने कहा कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह की दुर्भाग्यपूर्ण मौत से संबंधित कुछ गलतफहमियों और तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया। सेना इस आधार पर भेदभाव नहीं करती कि वे अग्निवीर भर्ती योजना के तहत भर्ती हुए थे या पहले से फोर्स में शामिल थे।

अग्निवीर अमृतपाल सिंह को सेना द्वारा गॉर्ड ऑफ़ नहीं दिए जाने पर पैदा हुए राजनीतिक विवाद के बाद भारतीय सेना ने स्पष्टीकरण दिया है। सेना ने कहा कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने संतरी ड्यूटी के दौरान खुद गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। कहा-उनको सैन्य सम्मान इस लिए नहीं दिया गया, क्योंकि खुद को चोट पहुंचाकर आत्महत्या करने वाले सैनिकों को गॉर्ड ऑफ़ ऑनर नही दिया जाता।

अमृतपाल सिंह अग्निवीर भर्ती स्कीम के तहत भर्ती हुआ थे। वह जम्मू कश्मीर राइफल की यूनिट में तैनात था। सिंह पूंच सेक्टर में तैनात थे। अमृतपाल सिंह ने 11 अक्टूबर को संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को उनके पैतृक गांव कोटली कलां में हुआ।

भारतीय सेना ने कहा ये भी कहा कि वह सैनिकों के बीच इस आधार पर भेदभाव नहीं करती कि वे केंद्र की अग्निपथ योजना के तहत भर्ती हुए हैं या इस स्कीम के आने से पहले भर्ती हुए हैं। अग्निपथ योजना के तहत अधिकारी रैंक से निचले स्तर के सैनिकों को तीनों सेनाओं में भर्ती किया जाता है। सभी भर्तियों को केवल चार साल के लिए नियुक्त किया जाता है।

सेना ने रविवार देर रात को एक ब्यान में कहा कि अमृतपाल सिंह की मौत से संबंधित तथ्यों को लेकर कुछ गलतफहमियां और गलत बयानबाजी हुई है।

आर्मी का ब्यान

आत्महत्या या खुद को लगी चोट के कारण हुई मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं पर सशस्त्र बलों द्वारा परिवार के साथ गहरी सहानुभूति के साथ-साथ उचित सम्मान भी दिया जाता है। सेना ने कहा,” यह परिवार और सेना के लिए गंभीर क्षति है कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। ”

इंडियन आर्मी का ट्वीट

” मौजूदा प्रथा के अनुरूप, चिकित्सीय और क़ानूनी प्रक्रियाओं के संचालन के बाद, नश्वर अवशेषों को सेना की व्यवस्था के तहत एक एस्कॉर्ट पार्टी के साथ अंतिम संस्कार के लिए मूल स्थान पर ले जाया गया। हालांकि, ऐसे मामले 1967 के प्रचलित सेना के आदेश के अनुसार, सैन्य अंत्येष्टि के हकदार नहीं हैं। इस विषय पर नीति का बिना किसी भेदभाव के लगातार पालन किया जा रहा है। ” इसके साथ ही भारतीय सेना ने ये भी बताया कि हर साल तीनों सेनाओं में तैनात 100 से लेकर 140 कर्मी आत्महत्या करते हैं। इन सभी को गॉर्ड ऑफ़ ऑनर नहीं दिया जाता।

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