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रैगिंग केस सुलझाने के लिए बनी मेडिकल स्टूडेंट, महिला कॉप ने 3 महीने में ऐसे दिया सीक्रेट मिशन को अंजाम

जींस-टॉप और कंधे पर पर बैग टांगकर तीन महीने तक इंदौर MGM कॉलेज में मेडिकाल स्टूडेंट बनकर कांस्टेबल शालिनी चौहान ने रैगिंग केस सुलझाया। इस दौरान उसने कॉलेज की कैंटीन में अन्य छात्रों को दोस्त बनाकर जानकारियां जुटाई।

जींस-टॉप और कंधे पर पर बैग टांगकर तीन महीने तक इंदौर MGM कॉलेज में मेडिकाल स्टूडेंट बनकर कांस्टेबल शालिनी चौहान ने रैगिंग केस सुलझाया। इस दौरान उसने कॉलेज की कैंटीन में अन्य छात्रों को दोस्त बनाकर जानकारियां जुटाई।

मध्य प्रदेश की इंदौर पुलिस को MGM कॉलेज में रैगिंग मामले की जुलाई महीने में एक गुमनाम शिकायत मिली थी। पुलिस ने इस रैगिंग मामले का पर्दाफाश फ़िल्मी अंदाज में किया है। इस केस को सुलझाने के लिए लेडी कॉप शालिनी चौहान तीन महीने तक मेडिकल की छात्रा बनकर कॉलेज में रही। शालिनी चौहान टॉप जींस पहनकर कॉलेज की कैंटीन में बैठी रहती थी। जहां , वह नए दोस्त बनाती, कैंटीन में बातचीत करती और आखिरकार इस ब्लाइंड रैगिंग केस को अपनी टीम के साथ सुलझाने में कामयाब रही। शालिनी चौहान ने अपनी टीम के साथ मिलकर कॉलेज के 11 छात्रों के खिलाफ सबूत जुटाए। आरोपी 11 छात्रों में से एक बंगाल ,एक बिहार और 9 छात्र मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। कॉलेज प्रशासन ने सभी आरोपी छात्रों को सस्पेंड कर दिया है।

ऐसे दिया मिशन को अंजाम

बता दें , इंदौर के महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा कॉलेज में रैगिंग के बहुचर्चित मामले का खुलासा करने के लिए पुलिस ने 24 वर्षीय महिला कांस्टेबल को MBBS छात्रा के भेष में इस कॉलेज में भेजा था। संयोगितागंज पुलिस स्टेशन के प्रभारी तहजीब काजी ने सोमवार के दिन बताया कि पीड़ित छात्र द्वारा UGC के हेल्प लाइन को शिकायत करने के बाद हरकत में आए कॉलेज प्रबंधन ने अज्ञात वरिष्ठ छात्रों के खिलाफ 24 जुलाई को आपराधिक मामला दर्ज कराया था।

थाना प्रभारी काजी ने बताया कि इस शिकायत में रैगिंग की घटनाओं का पूरा विवरण था लेकिन आरोपियों और पीड़ित छात्रों के नाम नहीं थे। रैगिंग केस को सुलझाने के लिए 24 वर्षीय महिला कांस्टेबल को MBBS छात्रा के भेष में मेडिकल कॉलेज में भेजा गया , जिसने इस केस की बिखरी हुई कड़ियों को एक जासूस की तरह जोड़ा।

पुलिस अधिकारी ने बताया ,” एक अन्य महिला आरक्षक को नर्स के भेष में और दो पुरुष पुलिस कर्मियों को कैंटीन कर्मचारी बनाकर गुप्त जांच कराई गई। इस विस्तृत जांच में कनिष्ठ छात्रों के साथ रैगिंग की पुष्टि हुई। हमने 11 मेडिकल छात्रों की आरोपियों के रूप में पहचान की। “

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