अमेरीका से कार चलाकर 22 देशों को पार करते हुए 20 हजार किलोमीटर की दुरी पार कर लखविंदर सिंह 34 दिन में पहुंचा जालंधर,कहा-पाकिस्तान में बहुत प्यार मिला  

अगर दिल में जूनून हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है। ऐसी ही एक मिसाल भारतीय मूल के अमेरिका में रहने वाले लखविंदर सिंह ने पेश की है।

लखविंदर सिंह ने अमेरिका से जालंधर तक का सफर अपनी कार से तय किया। सिंह करीब डेढ़ महीने में पंजाब के जालंधर पहुंचे। इस दौरान उन्होने रास्ते में आने वाले देशों के लोगों के साथ मुलाकात भी की। लखविंदर सिंह का कहना है कि उनके दिल में यह इच्छा कोरोना वायरस महामारी के दौरान पैदा हुई थी। लेकिन अब यह पूरी हो गई है। सिंह 1985 में यूएस चले गए थे और तब से वहीँ रह रहे थे।

घरवालों ने किया था मना

लखविंदर सिंह ने आजतक से बात करते हुए कहा ,” जब मैंने अपने परिवार वालों से अमेरिका से जालंधर सड़क मार्ग से जाने की इच्छा जताई तो उन्होंने मना कर दिया था। बाद में मैंने किसी तरह घर वालों को इसके लिए राजी कर लिया। उसके बाद मैंने दस्तावेज तैयार करवाए और अमेरिका से जालंधर के लिए निकल पड़ा। ”

34 दिन में जालंधर पहुंचे

लखविंदर सिंह ने 22 देशों की यात्रा की और 34 दिनों में बीस हजार से अधिक की दुरी तय की। सबसे पहले उन्होंने अमेरिका से एक जहाज पर कार को लादकर इंग्लैंड भेजा। वह इंग्लैंड से ट्रेन में सवार होकर बेल्जियम पहुंचा।

इस तरह भारत पहुंचे

बेल्जियम से उन्होंने अपनी कार से यात्रा करनी शुरू की। इस दौरान उन्होंने पेरिस , जर्मनी , स्विट्जरलैंड , ऑस्ट्रिया , तुर्की , हंगरी और ईरान में कार से यात्रा की। इसके बाद वह पाकिस्तान पहुंचे। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने काफी लोगों से बातचीत की।

इस सफर में लखविंदर सिंह की कार 20 हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर चुकी है। इस दौरान वह 22 देशों से गुजरे। लखविंदर सिंह ने बताया कि ईरान में यूएसए कार चलाने की इजाजत नहीं थी। इसलिए उसने उसे दूसरी कार से रस्सी से बांध दिया और घसीटते हुए सीमा तक ले गया। यूरोप के देशों में अमेरिकी कार से यात्रा करने में कोई समस्या नहीं थी।

लखविंदर सिंह का कहना है कि इस सफर में कई खूबसूरत यादें जुड़ गई हैं। कैलीफोर्निया नंबर की कार देखकर सभी मेरे पास आते थे और मेरे साथ सेल्फी लेते थे। रास्ते में लोग बहुत मिलनसार थे।

मैं शुद्ध शाकाहारी हूं

सिंह ने कहा ,” मैं शुद्ध शाकाहारी हूं , इसीलिए रास्ते में मुझे कई जगह खाने में दिक्क्त आई। ऐसी जगहों पर मैं फलों से काम चला लेता था। जैसा कि मेरे घरवालों को डर था कि पाकिस्तान में मेरी जान को खतरा हो सकता है ,ऐसा बिल्कुल नहीं था। पाकिस्तान में मैं करीब 14 दिन तक रहा। वहां के लोगों से मुझे बहुत प्यार मिला। वे मुझे दूसरे पंजाब से आया हुआ अपना भाई समझते थे। वहां के लोग मुझे अपने घरों में रखते थे , मेरे लिए बर्तन साफ कर शाकाहारी खाना बनाते थे। पकिस्तान के लोगों का प्यार देखकर मेरी आँखें नम हो जाती थी।

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