Shanan Dhaka: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भारत में UPSC की ओर से पहली बार महिला कैडर के लिए NDA परीक्षा का आयोजन हुआ।
NDA भर्ती के लिए हुई परीक्षा में हरियाणा के रोहतक के एक गांव सुंडाना की शनन ढाका ने पहली रैंक हासिल की है। शनन ढाका ने इसका श्रेय अपने पिता जी और दादा जी को दिया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पिछले साल देश में एनडीए में लड़कियों के प्रवेश की अनुमति दी गई थी। इस परीक्षा का फाइनल रिजल्ट 14 जून 2022 को जारी हुआ। जिसमें हरियाणा की बेटी शनन ने टॉप किया।
UPSC एनडीए लिखित परीक्षा का आयोजन 14 नवंबर 2021 को हुआ था। परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों का परिणाम 15 दिसंबर 2021 को जारी हुआ था। लिखित परीक्षा के बाद एसएसबी इंटरव्यू का आयोजन किया गया। जिसके फाइनल रिजल्ट 14 जून 2022 को जारी हुए। इसमें हरियाणा की रोहतक के सुधाना गांव की शनन ढाका ने 10 वीं रैंक हासिल की है।
शनन ढाका को देश सेवा की प्रेरणा विरासत में मिली है। शनन के दादाजी चंद्रभान ढाका सेना में सूबेदार के पद पर रह चुके थे। इसके अलावा उनके पिता विजय कुमार ढाका भी भारतीय सेना में नायब सूबेदार के पद पर रहकर देश सेवा कर चुके हैं। अपने पिता और दादा जी से प्रेरणा लेकर शनन ढाका ने भारतीय सेना में शामिल होने का निर्णय लिया।
पढ़ाई
ढाका की शुरुआती पढ़ाई आर्मी स्कूल में हुई। शनन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज में ग्रेजुएशन कोर्स में एडमिशन लिया था। फिर एनडीए में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति मिलने पर उन्होंने आवेदन किया था। शनन का कहना है कि उन्हें पढ़ाई करने का बहुत कम समय मिला था। उन्हें सिर्फ 40 दिन तैयारी के लिए मिले थे।
यूपीएससी की तरफ से महिला उम्मीदवारों के लिए पहली बार एनडीए परीक्षा आयोजित दाखिले का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा एसएसबी इंटरव्यू होता है। इसको लेकर शनन कहती है कि एसएसबी इंटरव्यू में सभी के व्यवहार को अच्छे से देखा जाता है। इसलिए बनावटी व्यवहार नहीं करना चाहिए। इंटरव्यू को अधिक बोझ नहीं मानना चाहिए बल्कि सामान्य रूप से लेना।
एनडीए के पहले बैच की महिला एंट्रेंस टॉपर हरियाणा की 19 वर्षीय शनन ढाका कहती है सेना में काम करना नौकरी नहीं बल्कि सेवा है। एक समय था जब एनडीए टेस्ट के लिए लड़कियां बैठना चाहती थी। लेकिन अनुमति नहीं थी। यह अनुमति केवल लड़कों के लिए थी। अब जब मैं इस दिन को याद करती हूं तो अच्छा लगता है।
पिता विजय कुमार की प्रतिक्रिया
“मैं सेना में मानक नायब सूबेदार था। मेरे पिता एक सूबेदार थे। मेरी बेटी सेना के माहौल में पली-बढ़ी हुई। छावनी क्षेत्रों में रहती थी और देखा कि सेना के अधिकारियों के साथ कितना सम्मानजनक व्यवहार किया जाता है। इस तरह उसने सेना में शामिल होने का फैसला लिया। विजय कुमार ढाका, शनन के पिता न्यूज़ एजेंसी से एएनआई कहा। Published on: Jun 23, 2022 at 08:34
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