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सेना के जवानों को मिलने वाली विकलांगता पेंशन पर केंद्र सरकार रखेगी कड़ी नजर

Central government will keep a close watch on the disability pension received by army personnel

भारतीय सेना न के ऐसी प्रणाली बनाई है जिसके तहत मेजर जनरल और उससे ऊपर वाले रैंक के अधिकारियों को विकलांगता पेंशन पाने के लिए केवल कमांड अस्पतालों में ही मेडिकल करवाना होगा।

देश की राजधानी दिल्ली में यह सशस्त्र बलों लिए बने क्लिनिक तक ही सीमित होगा।

Army की विकलांगता पेंशन

Indian Army ने विकलांगता पेंशन पाने वाले जवानों की चिकित्सा समस्याओं का आकलन करने के लिए एक जांच की व्यवस्था की है। इससे पहले अधिकारियों द्वारा विकलांगता पेंशन के दुरुपयोग को देखते हुए इस टैक्स लगाने का फैसला लिया गया था।

सेना यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि विकलांगता पेंशन का फायदा सेना के जवानों और जूनियर कमीशन अधिकारियों को भी मिले।

सेना के रिटायर एड्जुटेंट जनरल लेफ्टिनेंट जनरल अश्विनी कुमार ने अपने रिटायर होने के एक दिन पहले 31 अक्टूबर को कहा ,” कुछ ऐसे मामले सामने आए थे जिनमें मेडिकल प्रोफाइल बनाने में गंभीर अनियमितता पाई गई है। इस मामले पर संज्ञान लेते हुए लोगों पर कड़ी करवाई की गई थी।”

Army की विकलांगता pension पर टैक्स

इससे पहले केंद्र सरकार ने विकलांगता पेंशन पर टैक्स लगाने का फैसला लिया था। ये टैक्स उन जवानों पर लगाया जाना था ,जो विकलांग होने के बाद भी सर्विस में रहे और अपनी सेवा पूरी करने के बाद रिटायर हुए हैं। लेकिन उनके टैक्स में छूट थी जो विकलांग होने के कारण सेवानिवृत कर दिए गए थे।

Army के लिए सर्कुलर जारी

अपने सर्कुलर में 24 जून 2019 को वित्त मंत्रालय सवाल उठाते हुए स्पष्टीकरण मांगा था कि क्या आयकर अधिनियम 1922 के प्रावधान के मुताबिक, टैक्स फ्री विकलांगता पेंशन का लाभ उन लोगों तक सीमित है ,जिन्हे विकलांग होने के कारण अयोग्य करार देते हुए सेवा की अवधि से पहले ही रिटायरमेंट दे दी गई है। क्या इसमें वो लोग भी शामिल हैं जिन्होंने विकलांगता के बावजूद भी अपना कार्यकाल पूरा करके रिटायरमेंट ली है?

21 मार्च 1922 के ओरिजिनल नोटिफिकेशन के अनुसार इनकम टैक्स में छूट केवल उन लोगों के लिए होगी ,जिन्हे विकलांगता के चलते अयोग्य पाते हुए सेवा से रिटायर किया गया है। इस प्रावधान के आधार पर यह फैसला लिया गया है।

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