लोकसभा चुनाव 2019 ज्यों ज्यों नजदीक आते जा रहे हैं ,नेताओं की भाषा उतनी ही बिगड़ती जा रही है। असल मुद्दों को छोड़ सभी नेता अपने मतदाताओं को लच्छेदार और लोकलुभावन भाषणों से आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।

लोकसभा चुनाव 2019 ज्यों ज्यों नजदीक आते जा रहे हैं ,नेताओं की भाषा उतनी ही बिगड़ती जा रही है। असल मुद्दों को छोड़ सभी नेता अपने मतदाताओं को लच्छेदार और लोकलुभावन भाषणों से आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।

कोई नेता खेत में किसानों के साथ सेल्फी ले रहा है तो कोई चुनावी मंच पर अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर रहा है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेरठ में एक चुनावी सभा के दौरान बसपा ,समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल पार्टी के यूपी में गठबंधन पर हमला बोलते हुए तीनों दलों को शराब की संज्ञा तक दे डाली थी। जिसका मायावती और अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुए जवाब दिया था।

आज राष्ट्रीय लोकदल पार्टी के मुखिया अजीत सिंह ने प्रधान मंत्री मोदी पर एक रैली के दौरान हमला बोलते हुए कहा,”ये झूठ नहीं बोलता,बस इसने आज तक सच नहीं बोला है। बच्चों को कहते हैं सच बोला कर, लेकिन इसके मां-बाप ने नहीं सिखाया। महिलाओं का पक्षधर है। तीन तलाक ,तीन तलाक अपनी पत्नी को एक भी तलाक नहीं बोला और छोड़ दिया। ”

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