Karwa Chauth: करवा चौथ का सुहागिनें हर साल बहुत बेसब्री से इंतजार करती हैं। इस पर्व से एक हफ्ते पहले ही शादीशुदा महिलाएं करवा चौथ की तैयारियां शुरू कर देती हैं। आइये जानते है, करवा चौथ से जुडी कुछ खास बातें।
हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिनें भगवान शिव , माता पार्वती और गणेश की पूजा करती हैं। करवा चौथ का व्रत कठिन व्रतों में से एक है। इस दिन शादीशुदा महिलाएं पूरा दिन बिना अन्न-जल का सेवन किए भूखे प्यासी रह कर व्रत रखती हैं। सूर्योदय के साथ व्रत शुरू होता है और चांद निकलने के बाद व्रत तोडा जाता है।
क्या है Karwa Chauth ?
करवा चौथ को करक चतुर्थी भी कहा जाता है। करवा मिट्टी का एक पात्र होता है। जिससे चांद को अर्ध्य दिया जाता है। पूजन में करवा का बहुत महत्व होता है। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि सुहागिनों द्वारा करवा चौथ का व्रत रखने से उनके पति की आयु लंबी होती है और जीवन में खुशहाली आती है।
व्रत का समय
करवा चौथ पूजा करने का सबसे अच्छा समय शाम को सूर्यास्त होने के बाद शुरू होता है।
इन बातों का रखें ध्यान
शास्त्रों के अनुसार, करवा चौथ के व्रत के दिन काले और सफेद रंग के वस्त्रों का धारण नहीं करना चाहिए। इस दिन ये दोनों रंग अशुभ माने जाते हैं।
करवा चौथ पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। उसके बाद मंदिर की साफ-सफाई कर ज्योत जगा लें। निर्जला व्रत का संकल्प लें। भगवान शिव की पूजा करें। चंद्र दर्शन के बाद पति का चेहरा छलनी से देखें। इसके बाद पति द्वारा पत्नी को जल पिलाया जाता है और व्रत सपन्न होता है।
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