विनेश फोगाट ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने के बाद भी रजत पदक से कैसे चुकीं: CAS का फैसला

CAS ने Vinesh Phogat की अपील को खारिज कर दिया था। अब कोर्ट ऑफ़ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स ने अपना विस्तृत फैसला जारी किया है। बता दें,  विनेश फोगाट ने पेरिस ओलंपिक के फाइनल में प्रवेश कर लिया था लेकिन उन्हें 100 अधिक वजन के कारण अयोग्य करार दिया गया था।

द ऑफ़ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स ने पेरिस ओलंपिक 2024 के दौरान विनेश फोगाट की अयोग्यता की अपील पर अपना विस्तृत फैसला जारी किया है। विनेश को 50 किलोग्राम वर्ग में 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण डिस्क्वालिफाई कर दिया गया था। इस फैसले को महिला पहलवान ने खेल की अदालत में चुनौती दी थी। विनेश ने अपनी अपील में फिर से वजन कराए जाने और कम से कम साझा सिल्वर मेडल देने की अपील की थी।

14 अगस्त को CAS ने विनेश की अपील को खारिज कर दिया। बुधवार के दिन खेल पंचाट ने अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समिति और यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के पक्ष में फैसला सुनाया। जिसके बाद अब 19 अगस्त को कोर्ट ऑफ़ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स ने अपना विस्तृत फैसला सुनाया। सोमवार को एक विस्तृत फैसला जारी किया गया। जिसमें लंबी प्रक्रिया का विवरण जारी किया गया। सोमवार को जारी किए गए 24 पन्नों के फैसले में अदालत की कार्यवाही भी शामिल है।

खेल अदालत के फैसले का निष्कर्ष भाग

  • इसमें कोई विवाद नहीं है कि आवेदक दूसरी बार वजन करने में विफल रही। उनका वजन निर्धारित 50 किलोग्राम से अधिक था।
  • खेल में वजन सीमा के लिए नियम स्पष्ट हैं और अभी खिलाडियों पर लागू होते हैं। एथलीट के लिए यह सुनिश्चित करण जरूरी है कि वह तय वजन सीमा से नीचे रहे।
  • नियमों में कोई विवेकाधिकार प्रदान नहीं किया गया है।
  • एथलीट अनुरोध करती है कि अपील किए गए निर्णय को इस तरह से रद्द किया जाए कि नियमों के अनुच्छेद 11 में दिए गए परिणाम लागु न हों। अनुच्छेद को इस प्रकार समझा जाए कि यह केवल प्रतियोगिता के अंतिम दौर पर लागू होता है न कि  शुरुआत में। नियमों के आर्टिकल 11 को चुनौती नहीं दी गई है। इसका तात्यपर्य यह है कि फैसला वैध रूप से किया गया था और यहां अनुच्छेद 11 लागू होता है।
  • एथलीट ने पहले दिन वेट-इन पास कर लिया था लेकिन दूसरे दिन,फाइनल से पहले इसे पास करने के लिए बाध्य किया गया। नियमों के अनुच्छेद 11 लागू होने के कारण, इसका मतलब था कि उसे प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया और बिना रैंक के ही अंतिम स्थान पर रखा गया। यह सिल्वर मेडल देने से रोकता है। भले ही प्रतियोगिता के पहले दिन उसके प्रदर्शन ने सुनिश्चित किया था कि वह कम से कम रजत पदक हासिल करेगी। विनेश का कहना है कि वह रजत पदक से सम्मानित होने योग्य है और छह अगस्त को उनका सफल वेट – इन अगले दिन की प्रतियोगिता पर भी लागू हो।
  • एथलीट स्वीकार करती है कि नियमों के तहत ,  उसे प्रतियोगिता के अंतिम दौर में उस पहलवान से बदल दिया गया, जिसको उसने सेमीफाइनल में हराया था। यह नहीं कहती कि कोई दूसरा पहलवान अपना रजत पदक खो दे, बल्कि वह दूसरा साझा रजत पदक चाहती हैं। ऐसा कोई आधार नहीं है, जिसके आधार पर आवेदक को रजत पदक दिया जाए।
  • यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के नियमों के अनुसार,  एक पहलवान को न केवल प्रतियोगिता की शुरुआत में पात्र रहना चाहिए बल्कि उसे पूरी प्रतियोगिता में पात्र रहना चाहिए। यानी प्रवेश से लेकर फाइनल तक।
  • आवेदक को राहत देने से इंकार कर दिया गया है और आवेदन खारिज कर दिया है।
  • सोल आर्बिट्रेटर का मानना है कि एथलीट ने खेल के मैदान में प्रवेश किया, संघर्ष किया और तीन राउंड जीते। एथलीट 50 किलोग्राम कुश्ती प्रतियोगिता के फाइनल में पहुंची लेकिन इससे पहले वह दूसरे वेट-इन में विफल रही और फाइनल राउंड में खेलने के लिए अयोग्य थी।

विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक से निराश होकर भारत लौट चुकी हैं। उनकी वापसी पर विनेश का ढोल – नगाड़ों के साथ भव्य स्वागत किया गया। विनेश फोगाट ने पेरिस ओलंपिक के दौरान ही अपने संन्यास की घोषणा कर दी थी। अब स्वदेश लौटने के बाद विनेश ने कहा कि हमारी लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने ये भी कहा कि वह कुश्ती के खेल में अपने करियर को लेकर अनिश्चित हैं।

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