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Pooja Khedkar FIR के बाद लापता हुई, IAS नहीं पहुंची मसूरी ट्रेनिंग सेंटर

Pooja Khedkar FIR के बाद लापता हुई

Pooja Khedkar मंगलवार को निर्धारित समय सीमा पर मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में रिपोर्ट करने में विफल रही। उनपर सिलेक्शन के लिए फर्जी विकलांगता और जाति प्रमाण पत्र जमा करने का आरोप है।

ट्रेनिंग के दौरान विवादों में आई आईएएस Pooja Khedkar पिछले पांच दिनों से लापता है। दिल्ली पुलिस में एफआईर के बाद पूजा खेड़कर लापता हो गई है। इससे पहले घर लौटते समय खेड़कर ने कहा था कि वह  जल्द वापस लौटकर आएंगी।

Pooja Khedkar को रिकॉल किया गया

वह रिकॉल किए जाने पर निर्धारित 23 तारीख को मसूरी के ट्रेनिंग सेंटर भी नहीं पहुंची है। पिछले हफ्ते ही उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। जैसे ही उनके चयन को लेकर विवाद खड़ा हुआ था, अकादमी ने उन्हें वापस बुला लिया था। उनकी ट्रेनिंग भी रोक दी गई थी और उन्हें 23 जुलाई तक मसूरी प्रशिक्षण केंद्र में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था।

Pooja Khedkar हुई लापता

16 जुलाई को महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव नितिन गद्रे ने एक पत्र लिखकर कहा कि सरकार के साथ उनकी ट्रेनिंग अवधि समाप्त कर दी गई है। इसके बाद पूजा खेड़कर ने न तो पत्र का जवाब दिया और न ही अकादमी को रिपोर्ट किया।

Pooja Khedkar के माता पिता को निर्देश

केंद्र सरकार ने पुणे पुलिस को विवादास्पद आईएएस अधिकारी पूजा खेड़कर के माता-पिता की वैवाहिक स्थिति के बारे में अवगत कराने का निर्देश दिया है। उनपर यूपीएससी परीक्षा 2023 में ओबीसी क्रीमी लेयर का लाभ लेने, फर्जी दस्तावेज जमा कराने और अपने माता पिता को तलाकशुदा बताकर चयनित होने का आरोप है।

ट्रेनिंग से निकाली गई आईएएस पूजा खेड़कर, बोलीं-दोबारा जल्द आउंगी

पुणे पुलिस को पूजा खेड़कर के माता-पिता की वैवाहिक स्थिति के बारे में जांच करने का निर्देश मिला है। एक अधिकारी ने बताया कि हमें केंद्र की तरफ से पूजा की मां मनोरमा और पिता दिलीप खेड़कर की वैवाहिक स्थिति की जांच करने का निर्देश मिला है।

2023 बैच की प्रशिक्षु आईएएस पूजा खेड़कर पर चयन के लिए फर्जी जाति प्रमाण पत्र, फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र और अपने माता पिता को तलाक़शुदा बताने का आरोप है। इसके अलावा उनपर अपने कार्यकाल के दौरान ऑडी गाडी पर नीली बत्ती लगाने का भी आरोप है।

पूजा खेड़कर इस महीने की शुरुआत में उस समय सुर्ख़ियों में आई थी जब उन्हें परिवीक्षा अवधि के दौरान लाल बत्ती वाली निजी कार के इस्तेमाल सहित दुर्व्यवहार की शिकायतों के चलते पुणे से वाशिम जिले में ट्रांसफर कर दिया गया था। उन्होंने परिवीक्षाधीन अधिकारी के रूप में हकदार न होते हुए भी एक अलग कार्यालय, स्टाफ और वाहन की मांग की थी।

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