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केंद्र सरकार से टकराव के बाद ट्विटर ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा, जानिए क्या है मामला

भारत में ट्विटर के 2 करोड़ 30 लाख यूजर्स हैं। अमेरिकी माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर के लिए भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मार्किट प्लेस है। ट्वटिर और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर टकराव देखने को मिल रहा है।

भारत में ट्विटर के 2 करोड़ 30 लाख यूजर्स हैं। अमेरिकी माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर के लिए भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मार्किट प्लेस है। ट्वटिर और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर टकराव देखने को मिल रहा है।

भारत सरकार पर ट्विटर ने सत्ता का दुरूपयोग करने का आरोप लगाते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वहीँ केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने ट्वीट कर कहा ,” भारत में सभी विदेशी इंटरनेट इंटरमीडिएटरीज / प्लेटफॉर्म्स को कोर्ट और न्यायिक समीक्षा का अधिकार है। लेकिंन भारत में काम करने वाले विदेशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को देश के कानूनों और नियमों का पालन करना होगा।

ट्विटर ने दाखिल की याचिका

दरअसल , मंगलवार के दिन कर्नाटक हाई कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में ट्विटर ने कहा कि सरकार राजनीतिक दलों के ट्विटर एकाउंट्स द्वारा शेयर की गई कुछ सामग्री पर रोक चाहती है। ट्विटर ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन बताया है।

ट्विटर की तरफ से विवादित सामग्री की न्यायिक समीक्षा के प्रयास को केंद्र सरकार के साथ टकराव के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है। ट्विटर ने अपने प्लेटफार्म से बड़े पैमाने पर कंटेंट हटाने के सरकार के आदेशों का पालन नहीं किया है। ट्विटर ने कहा कि यह आदेश मनमाने हैं और सत्ता के दुरूपयोग को दर्शाते हैं।

4 जुलाई तक मांगा था जवाब

बता दें , केंद्र सरकार ने 28 जून को एक पत्र लिखकर ट्विटर को चार जुलाई तक आदेशों का पालन करने के लिए कहा था। केंद्र सरकार ने यह भी कहा था कि आदेश का पालन न करने पर ट्विटर अपना क़ानूनी संरक्षण गंवा देगा। लीगल शील्ड गंवाने का मतलब है कि ट्विटर पर यूजर्स की तरफ से आईटी नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना लगाया जा सकता है। ट्विटर ने सरकार के कुछ आदेशों को अदालत में चुनौती दी है।

ट्विटर के क़ानूनी कदम पर केंद्र सरकार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि  सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को जवाबदेह बनाना बेहद जरूरी है। यह वैश्विक स्तर पर वैध सवाल बन गया है।

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