पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि पीएम केयर्स फंड केंद्र सरकार या राज्य सरकारों के अधीन नहीं है। इस ट्रस्ट में जमा की गई धनराशि सरकारी खजाने में नहीं जाती है। ऐसे में इस फंड की वैधता और जनता के प्रति जवाबदेही को लेकर नए सवाल खड़े हो गए हैं।
मार्च 2020 में एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट ग्रुप के रूप में पीएम केयर्स फंड की स्थापना हुई थी। पीएम नरेंद्र मोदी इस फंड के अध्यक्ष है। वहीं गृह मंत्री और डिफेंस मिनिस्टर इस फंड के ट्रस्टी हैं।जब से इस फंड की स्थापना हुई है तब से लेकर इसके संचालन में पारदर्शिता की कमी को लेकर विवाद चल रहा है। कई लोगों ने आरटीआई के तहत आवेदन देकर इसके बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की। लेकिन पूरी तस्वीर अभी भी स्पष्ट नहीं हो पाई है।
पीएम केयर्स फंड को लेकर सरकार का ताजा बयान दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहे केस पर सुनवाई के दौरान सामने आया है। अधिवक्ता सम्यक गंगवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर कर रखी है। एक याचिका में फंड को आरटीआई कानून के तहत पब्लिक अथॉरिटी घोषित करने की और दूसरी याचिका में स्टेट घोषित करने की अपील की गई है।
फंड को लेकर पीएमओ ने दी यह जानकारी
प्रधानमंत्री कार्यालय के अप्पर सचिव प्रदीप श्रीवास्तव ने ट्रस्ट को लेकर अदालत को जानकारी दी है कि ट्रस्ट पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रहा है और इसके फंड का ऑडिट एक ऑडिटर द्वारा किया जाता है। अपर सचिव श्रीवास्तव ने कहा कि यह फंड भारत सरकार या राज्य सरकारों के नियंत्रण में नहीं है बल्कि चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़ा हुआ है। इस कोष में आने वाली धनराशि भारत सरकार की संचित निधि में नहीं जाती है।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि पीएम केयर्स फंड को ना तो सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में पब्लिक अथॉरिटी ग्रुप में के रूप में लाया जा सकता है और ना ही इसे राज्य के रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता है।
ट्रस्ट पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रहा है
अदालत को जानकारी दी गई है कि ट्रस्ट पूरी पारदर्शिता के साथ काम करता है और इस फंड का ऑडिट एक ऑडिटर द्वारा किया जाता है। ट्रस्ट में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए ट्रस्ट को मिले धन और उसका सारा विवरण आधिकारिक वेबसाइट पर डाला जाता है। अपर सचिव ने अदालत को बताया कि ट्रस्ट को जो भी दान मिले हैं, वह ऑनलाइन, चेक या फिर डिमांड ड्राफ्ट के जरिए मिले हैं। इस ट्रस्ट फंड के सभी खर्चों का ब्यौरा अपनी वेबसाइट पर अपडेट करता है।
वकील सम्यक गंगवाल द्वारा दायर की गई याचिका में बताया गया कि पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा मार्च 2020 में कोरोना महामारी के मद्देनजर देश के नागरिकों को सहायता प्रदान करने के लिए पीएम केयर्स फंड का गठन किया गया था और इससे अधिक मात्रा में धन दान में मिला है ।
याचिका के जवाब में पीएम केयर के अधिकारी ने अदालत को बताया कि यह ट्रस्ट चाहे संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत स्टेट हो या ना हो और आरटीआई कानून के तहत पब्लिक अथॉरिटी हो या ना हो किसी थर्ड पार्टी की जानकारी देने की हमें अनुमति नहीं है।
मामला और पेचीदा हो गया
केंद्र सरकार द्वारा अदालत में पीएम केयर्स फंड को थर्ड पार्टी कहने से मामला और पेचीदा हो गया है। गंगवाल पहले ही अदालत को बता चुके हैं कि फंड की वेबसाइट पर उससे संबंधित जो डॉक्यूमेंट मौजूद है। उनमें यह बताया गया है कि ट्रस्ट की स्थापना ना तो सिद्धांत के तहत की गई है और ना ही संसद द्वारा पारित किए गए किसी बिल के तहत। इसके बावजूद सरकार के सबसे उच्च दर्जे के अधिकारियों के नाम इससे जुड़े हैं। प्रधानमंत्री इस फंड के अध्यक्ष हैं। वहीँ रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री पदेन रूप से इस के ट्रस्टी हैं। इसका मुख्य कार्यालय पीएमओ के अंदर ही है। पीएमओ में ही एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी इसका संचालन करते हैं।
अभी भी पूरी तस्वीर स्पष्ट नहीं
पीएम केयर्स फंड की वेबसाइट पर सिर्फ वित्त वर्ष 2019-20 में इसमें आए अंशदान की जानकारी उपलब्ध है। वह भी सिर्फ 27 से लेकर 31 मार्च तक। यानी कुल 5 दिन की जानकारी उपलब्ध है। इन 5 दिनों में फंड को 3076 करोड़ रुपए की हासिल हुए हैं। लेकिन वेबसाइट के अनुसार अभी तक फंड से 3100 करोड रुपए कोरोना महामारी प्रबंधन से संबंधित अलग-अलग कार्यों के लिए आवंटित किए जा चुके हैं। ऐसे में पीएम केयर्स फंड को लेकर अभी भी पूरी तस्वीर स्पष्ट नहीं है। अब देखना यह होगा कि अदालत इन याचिकाओं पर अपना क्या रुख लेती है।
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