दिल्ली की जनता के लिए भारतीय लोकतंत्र का दुखद दिन: राठी

आम आदमी पार्टी के जिला अध्य्क्ष सुरेंदर राठी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत ही बड़ा दुखद दिन है कि दिल्ली में निर्वाचित सरकार को फैसलों से पहले अब उपराज्यपाल से अनुमति लेेनी।

स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, वन और परिवहन निर्वाचित दिल्ली की ‘सरकार’ के अधीन थे।  केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना ने कानून के तहत केंद्र सरकार द्वारा नामित उपराज्यपाल की प्रधानता स्थापित कर दी है।  इस कानून को ऐसे समय लागू किया गया है, जब दिल्ली कोरोना महामारी से जूझ रही है।

राठी ने बताया कि संसद ने इस कानून को पिछले महीने पारित किया था। लोकसभा ने 22 मार्च और राज्यसभा ने 24 मार्च को इसे मंजूरी दी थी। Delhi के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तब इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए दुखद दिन करार दिया था। कानून में कहा गया है, ‘जब विधेयक विधानसभा में पारित किया जाना हो तो उसे उपराज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए और उपराज्यपाल घोषित करेंगे कि वह उस विधेयक पर सहमत हैं या सहमति लंबित रखेंगे या विधेयक को राष्ट्रपति के विचाराधीन रखेंगे।  केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) अधिनियम, 2021 को अधिसूचित कर दिया है गया है।इसके तहत दिल्ली की निर्वाचित सरकार को अब किसी भी विषय पर कदम उठाने से पहले उपराज्यपाल की अनुमति लेनी होगी

राठी ने कहा कि दिल्ली के 3 अहम विषय- कानून व्यवस्था, पुलिस और भूमि पहले ही केंद्र सरकार के अधीन थे। भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत ही बड़ा दुखद दिन है। एक निर्वाचित सरकार को हर कार्य करने के लिए उपराज्यपाल से अनुमति लेनी होगी। यह कानून दिल्ली की जनता के लिए घोर अन्याय साबित होगा।

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