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AAP नेता अलका लांबा का इस्तीफा और विवाद का इतिहास

दिसम्बर 22, 2018 | by

AAP leader Alka Lamba’s resignation and history of controversy

अलक़ा लांबा ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को बताया कि पार्टी ने मुझसे इस्तीफे की मांग की जिसके लिए मैं तैयार हूँ। राजीव गाँधी ने देश के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया। मैं विधानसभा में राजीव गाँधी के भारत रत्न वापिस लेने के प्रस्ताव का समर्थन नहीं करती हूँ। मैं प्रस्ताव के खिलाफ हूँ इसलिए पार्टी ने मुझसे इस्तीफा माँगा,अलका लांबा ने कहा।

शुक्रवार को दिल्ली विधान सभा में राजीव गाँधी से 1984 के सिख दंगों में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभाने पर पार्टी ने ये प्रस्ताव रखा। अलका लांबा का आरोप है कि उन्हें इस प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए मजबूर किया गया। मैंने विधानसभा से प्रस्ताव का बहिष्कार करते हुए वाकआउट कर दिया। जिसके बाद मुख्यमंत्री ने मुझसे इस्तीफे देने की पेशकश की ,ऐसा चांदनी चौक विधायक अलका लांबा ने कहा।

आपको बता दें, दिल्ली विधानसभा में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की भूमिका को लेकर देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न वापिस लेने का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित किया गया। इस प्रस्ताव को आप नेता जरनैल सिंह ने विधानसभा में रखा था।

चलिए आपको को बताते हैं क्यों स्वर्गीय राजीव गाँधी को 1984 का दंगा भड़काने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है ?31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की उन्ही के अंगरक्षकों ने गोलियों से छलनी कर हत्या कर दी थी।

19 नवंबर1984 को इंदिरा गाँधी के बड़े सपुत्र और उत्तराधिकारी प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने एक बयान दिया। जिसमें उन्होंने दिल्ली के बोट क्लब में इकट्ठा हुए लोगों की भीड़ के सामने कहा ,”जब इंदिरा जी की हत्या हुई थी,तो हमारे देश में कुछ दंगे फसाद हुए थे। हमें मालूम है कि देश की जनता को कितना गुस्सा आया,और कुछ दिनों के लिए लोगों को लगा कि भारत हिल रहा है। जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है।”

राजीव गाँधी के इस वक्तव्य से लोगों में ये संदेश गया कि सिख नरसंहार को सही ठहराया जा रहा है। यही वजह है दिल्ली विधानसभा ने राजीव गाँधी के भारत रत्न सम्मान को वापिस लेने का प्रस्ताव कल 21 दिसंबर शुक्रवार को पारित किया। जिसका विरोध करना चांदनी चौक विधायक अलका लांबा को मंहगा पड़ा।

इस पुरे नरसंहार पर एक किताब भी लिखी गई जिसमें सिख दंगे का सिलसिलेवार वर्णन किया गया। किताब का नाम है “व्हेन ए ट्री शुक डेल्ही ” इस किताब के लेखक मनोज मित्ता और सह -लेखक वकील एच एस फुल्का हैं। वकील एच एस फुल्का जोकि आम आदमी पार्टी पंजाब से सांसद भी हैं। पिछले 34 साल से सिखों के हक के लिए लड़ाई लड़ते आ रहे हैं।

1984 सिख दंगे के मुख्यारोपी सज्जन कुमार को अदालत ने दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा 34 साल बाद सुनाई है।

 

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