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NASA को पहली बार चंद्रमा की सतह पर पानी मिला

वर्ष 1969 में जब पहला अपोलो अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा से लौटा, तो चंद्रमा की सतह को पूरी तरह से सूखा माना गया था। लेकिन अब नासा को चंद्रमा की सतह पर पानी मिल गया है। 

वर्ष 1969 में जब पहला अपोलो अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा से लौटा, तो चंद्रमा की सतह को पूरी तरह से सूखा माना गया था। लेकिन अब नासा को चंद्रमा की सतह पर पानी मिल गया है।

अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चाँद की सतह पर पानी की खोज की है। चंद्रमा की सतह पर यह पानी उस जगह मिला है,जहां सूर्य की सीधी रोशनी पड़ती है। नासा ने दुनिया की सबसे बड़ी उड़ान वेधशाला SOFIA का उपयोग करते हुए चंद्र की सतह पर पानी खोजा है। खोज से पता चलता है कि चंद्रमा की सतह पर पानी वितरित किया जा सकता है, जो 14.6 मिलियन वर्ग मील है।

नासा के वैज्ञानिकों को लगता है कि पानी को मिट्टी के भीतर कांच की बीडेड संरचनाओं के अंदर जमा किया जा सकता है। जो एक पेंसिल की नोक से छोटा हो सकता है। रिसर्च में पता चला पानी की मात्रा मिट्टी के घन मीटर की मात्रा में फंसे लगभग 12-औंस की बोतल के बराबर है।

NASA की इस खोज से भविष्य में अंतरिक्ष अभियानों को बहुत ताकत मिलेगी। इसका उपयोग उपग्रहों के ईंधन के लिए भी किया जा सकता है।

नए अध्ययनों से इस बात के रासायनिक प्रमाण मिले हैं कि चाँद की सतह पर आणविक जल मौजूद है और ऐसी जगह जहां सूरज की सीधी किरणें पड़ती हैं।

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